राफेल के उतरते ही इस देश ने दागी मिसाइलें, एक के बाद एक…

पांच राफेल लड़ाकू विमानों के पहले बैच ने सोमवार को फ्रांस से भारत के लिए उड़ान भरी। लगभग चार साल बाद दोनों देशों ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) को 36 मल्टी-रोल जेट्स की आपूर्ति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा करीब 59,000 करोड़ का था।

जनवरी में अमेरिका द्वारा ईरान के शीर्ष जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव के बीच यह सैन्य अभ्यास अमेरिका को उकसाने के रूप में देखा जा रहा है।

2015 के ईरान परमाणु समझौते को रद्द कर दिया। अमेरिकी नौसेना ने वर्तमान ईरान सैन्य अभ्यास को ‘गैर-जिम्मेदार और लापरवाह’ बताया।

ईरान ने होर्मुज के जलक्षेत्र के पास सैन्य अभ्यास “पैगंबर मोहम्मद 14वां” आयोजित किया है और कथित तौर पर मिसाइलों से अमेरिकी विमान वाहक को मॉक-अप ड्रिल के बाद नष्ट कर दिया गया।

सूत्रों ने कहा कि भारतीय दूतावास यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय हो गया कि लड़ाकू विमान सुरक्षित हों और एक टीम अल-ढफरा अड्डे पर पहुंचे। रात 11 बजे (स्थानीय समय) तक यह पुष्टि की गई कि सभी राफेल सुरक्षित हैं और सुबह में उड़ सकते हैं।

खतरे को भांपते हुए भारतीय वायु सेना मुख्यालय चाहता था कि राफेल्स को रात में ही बाहर निकाल दिया जाए, लेकिन NOTAM की आवश्यकताओं के कारण इसे व्यवस्थित नहीं किया जा सका।

भारत के लिए पांच राफेल लड़ाकू विमानों ने 27 जुलाई को फ्रांस से उड़ान भरी थी और वह शाम को दुबई पहुंचे। यह विमान जिस हवाई अड्डे पर उतरे थे, वहां के करीब ईरान ने एक के बाद एक तीन मिसाइलें दागी। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में अल धफरा एयरबेस पर यूएस और फ्रांसीसी सेना के लड़ाकू विमान खड़े हुए हैं।