कोरोना वायरस को लेकर चीन ने किया ये बड़ा खुलासा, कहा नहीं देंगे…

देश के कानून के अनुसार कई लैब संक्रामक रोगों के सैंपल्स को संभालने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे संक्रामक रोगों से जुड़े सैंपल्स के स्टोरेज, स्टडी और उन्हें नष्ट करने के सख्त मानक रखे गए हैं। इसलिए या तो उन्हें पेशेवर संस्थानों को सुपुर्द किया जाता है अथवा नष्ट कर दिया जाता है।

 

 

शुरुआत में आए इन मामलों को दूसरी श्रेणी का निमोनिया मानकर इलाज का प्रबंध करने का फैसला लिया गया था। फरवरी में ही सरकार ने सैंपल लेने वाली लैब्स को आदेश दिया था कि वे बिना अनुमति के सैंपल किसी भी शोध संस्थान या उन्नत लैब्स को नहीं सौंपेंगे।

ये अनाधिकृत लैब्स सैंपल लेकर उन्हें अपने स्तर पर नष्ट कर देतीं थी या नगर पालिकाओं को स्टोरेज के लिए भेज देती थीं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसी वजह से संक्रमण बेतहाशा फैला।

चीन के मेडिकल अफसर इस बात को नहीं मानते। हालांकि, इस कबूलनामे में डेनफेंग ने इन अनाधिकृत लैब्स और उन्होंने सैंपल कैसे लिए इसकी जानकारी साझा नहीं की।

इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियों ने कहा था कि चीन ने कोरोना को छिपाने का प्रयास किया था। उन्होंने आरोप लगाया था, चीन ने कोरोना वायरस पर रिसर्च को भी सेंसर किया था।

उन्होंने कहा था, चीन ने वायरस पर हो रही रिसर्च को सेंसर किया था, इससे दुनिया की कोरोना के खिलाफ जंग को प्रभावित करने की कोशिश की। उन्होंने दावा किया था कि चीन सरकार ने वायरस से जुड़ीं सूचनाएं छिपाने की कोशिश की।

इससे पहले भी कई मीडिया रिपोर्ट में चीन पर ऐसे आरोप लगते रहे है। यहां तक की 5 देशों की खफिया एजेंसी फाइव आईस ने भी यह आरोप लगाया था कि चीन ने कोरोना फैलने के सभी सबूतों को नष्ट कर दिया।

कोरोना वायरस महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। कोरोना के संक्रमण का पहला मामला चीन के वुहान से सामने आया था, ऐसे में चीन पर काफी गंभीर आरोप भी लगाए जा रहे हैं।

अमेरिका ने भी दावा किया था कि चीन के वुहान लैब से ही कोरोना फैला था। अब चीन और कोरोना को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है।

दरअसल, चीन ने यह मान लिया है कि चीन ने शुरुआती सैंपल नष्ट कराए थे। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट में भी इस बात का खुलासा हुआ था। इसके बाद अमेरिका ने भी सैंपल नष्ट कराने के आरोप लगाए थे।

न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2019 में चीन की कई लैब्स ने कोरोना के शुरुआती मरीजों के सैंपल नष्ट कर दिए थे। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के मेडिकल अफसर लियू डेनफेंग ने यह जानकारी दी है।

हालांकि, उन्होंने कहा, इसके पीछे चीन की मंशा कुछ छिपाने की नहीं थी। उन्होंने तर्क दिया कि बायोसेफ्टी कारणों से ऐसा करना जरूरी था।