वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाते समय जान ले ये बात, वरना हो जाएंगे परेशान

किसी भी व्यक्ति को अपना घर नगर या शहर के बाहर नहीं बनवाना चाहिए। वास्तु के अनुसार गांव या शहर में रहना ही तुलनात्मक रूप से अधिक सुरक्षित होता है। कहा जाता है अगर घर अधिक सुनसान जगह पर स्थित होता है तो वहां रहने वाले लोगों के मन-मस्तिष्क पर अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है।

 

अगर घर बहुत सुनसान स्थान पर या शरह-गांव के बाहर होगा तो जब भी आप घर से बाहर कहीं जाएंगे उस दौरान आपके मन और मस्तिष्‍क में घर-परिवार की चिंता बनी रहेगी।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुनसान जगहों को राहु और केतु की बुराई का स्थान माना जाता है। जिस कारण यहां पर घटना और दुर्घटना के योग बने रहते हैं।

न केवल वास्तु बल्कि हिंदू धर्म के शास्त्र में कुछ जगहों का वर्णन किया गया है, जहां एक सभ्य व्यक्ति को कभी नहीं रहना चाहिए। अगर व्यक्ति फिर भी उन स्थानों पर रहता है तो उसके तथा उसके भविष्य पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानते हैं कौन सी वो जगहें-

वास्तु के अनुसार 2 तरह की सुनसान जगह होती हैं एक मरघट की शांति वाले और दूसरे एकांत की शांति वाले। कुछ लोगों को शांति वाली जगहों पर रहना पसंद करते हैं, जिसके चलते वे सुनसान में रहने चले जाते हैं। कहा जाता है कि सुनसान जगहों पर रहने के कई खतरें है। धर्म शास्त्रों में भी ऐसी जगहों पर रहने की मनाही की गई है।

वास्तु शास्त्र में बाखूबी बताया गया है कि व्यक्ति को सुनसान जगह पर कभी घर का निर्माण नहीं करना चाहिए। परंतु ऐसा क्यों है? इस बात पर विचार करने वाले बहुत कम लोग हैं। इसका कारण आज के लोगों का आधिक व्यस्त रहना भी है।

चूंकि लोगों के पास इतना समय नहीं होता है कि वो किसी बात को गहराई में जान सके। तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें ये जानने की इच्छा है। आज हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से उन्हीं लोगों की मदद करने वाले हैं, जो इसके बारे में बेस्रबी से जानना चाहते हैं।