उत्तराखंड चुनाव 2022: बीजेपी करने जा रही ये काम , फोकस में जवान और किसान

पार्टी के सूत्र बता रहे हैं कि उत्तराखंड के आंतरिक सर्वे में पार्टी को नुकसान की आहट है। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा आंदोलन इस खतरे की बड़ी वजह माना जा रहा है।

इस आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले के यूपी की सीमा से जुड़े इलाकों में माना जा रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्रीय नेतृत्व का फोकस अब जवानों और किसानों पर है। इन दोनों मुद्दों को ध्यान में रखकर पार्टी लगातार फैसले ले रही है।

भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने कुमाऊं मंडल के ऊधम सिंह नगर जिले से विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया। युवा धामी को कमान देने से भाजपा स्थिति कुछ हद तक संभली। लेकिन किसान आंदोलन का असर जिले की सभी नौ सीटों पर कुछ न कुछ दिखा। किसानों में बहुत बड़ी तादाद सिख किसानों की है।

केंद्र का तीसरा बड़ा दांव कुमाऊं से सांसद अजय भट्ट को मोदी कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाने का रहा। भट्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देकर एक तीर से दो निशाने साधे गए। भट्ट को रक्षा राज्य मंत्री बनाकर सैन्य बहुल राज्य के सैनिकों और पूर्व सैनिकों को रिझाने की कोशिश हुई। वहीं नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा के सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देकर तराई को महत्व दिया।

सियासी जानकारों का कहना है कि राज्य के तराई में किसान आंदोलन से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल बदलने तक भाजपा कई दांव चल चुकी है। सैन्य बहुल राज्य में जवान और किसान पर पार्टी का खास ध्यान है।

भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की रणनीति की कमान अपने हाथों में ले ली है। प्रदेश में चुनावी बिसात अब राष्ट्रीय नेताओं की टीम बिछा रही है। चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति से लेकर राज्यपाल बदलने के फैसले को केंद्र का रणनीतिक कदम माना जा रहा है।