अमेरिका ने चीन चीन की तरफ घुमाया मिसाइलों का मुंह , तैनात किए युद्धपोत, कहा अब तो…

अमेरिका का यह नौसैनिक अड्डा भारत से महज 3,000 किलोमीटर दूर है. इसी के साथ अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन भी 14 अगस्त को दक्षिण चीन सागर की ओर बढ़ गया था. बी-2 बमवर्षकों की लद्दाख क्षेत्र में भी बड़ी सामरिक प्रासंगिकता है.

 

यूएस एयरफोर्स के कमांडर कर्नल क्रिस्टोफर ने कहा कि हम डियागो गार्सिया जैसी महत्वपूर्ण जगह पर आकर बहुत रोमांचित हैं. कमांडर ने कहा कि यह हमारी नेशनल डिफेंस स्ट्रेटजी का हिस्सा है.

हम हिंद महासागर में अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ रिश्तों को मजबूत करने के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को और ज्यादा पुख्ता कर रहे हैं. बी-2 स्प्रिट स्टील्थ दुनिया का सबसे घातक बमवर्षक है. यह विमान एक साथ 16 बी 61-7 परमाणु बम ले जा सकता है.

अमेरिका का यह नौसैनिक अड्डा भारत से महज 3,000 किलोमीटर दूर है. इसी के साथ अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन भी 14 अगस्त को दक्षिण चीन सागर की ओर बढ़ गया था.

बी-2 बमवर्षकों की लद्दाख क्षेत्र में भी बड़ी सामरिक प्रासंगिकता है. विशेष रूप से, उनका उपयोग 4,000 किलोमीटर की सीमा वाले डीएफ-26 बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है.

चीन शायद भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामिल करते हुए इंडो-पैसिफिक क्वाड के एयरक्राफ्ट कैरियर सहित जहाजों को निशाना बनाने के अपने इरादे का संकेत दे रहे हैं. अमेरिका के मिसौरी एयरफोर्स बेस से तीन बी-2 स्प्रिट स्टील्थ बमवर्षक विमान करीब 29 घंटे की यात्रा करके डियागो गार्सिया पहुंचे हैं.

भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन को युद्ध भड़काने से रोकने के लिए अमेरिका ने अपने जंगी जहाज युद्धपोत और परमाणु बमवर्षक लड़ाकू विमान तैनात किए हैं.

अमेरिका द्वारा दक्षिण चीन सागर में युद्धपोत और हिंद महासागर के डिएगो गार्सिया द्वीप में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम तीन बी-2 स्टील्थ बमवर्षक तैनात किया गया है.

अमेरिका का यह कदम लद्दाख से लेकर ताइवान तक चीन को रोकने के लिए एक स्पष्ट संदेश है. दोनों क्षेत्रों में जारी गतिरोध के बीच तीन रडार-विकसित बमवर्षक, जो दुनिया में सबसे उन्नत के लड़ाकू विमान के रूप में पहचाने जाते हैं, 12 अगस्त को डिएगो गार्सिया में पहुंचे.