स्पाइन की समस्या को दूर करने के लिए करे ये उपाय

आपने देखा होगा कि पीठ या कमर दर्द के अलावा स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं. बुजुर्गों या 30 से 40 वर्ष के लोगों में ही नहीं बल्कि टीनएजर्स में भी ये समस्या आम होती नज़र आ रही है.

कार्यस्थल में एक ही अवस्था में गलत पोस्चर में ज़्यादा समय तक बैठने से यह समस्या होती है. जिसका असर सिर्फ पीठ दर्द में ही नहीं बल्कि गर्दन, जोड़ों, कंधों, उंगलियों में दर्द के रूप में भी देखने को जिलता है. यानी यह ऑर्थोपेडिक समस्याओं को पैदा कर सकती है. आज की जीवन शैली में फिजिकल एक्टिविटीज कम हो गई हैं.

ऑफिस में कंप्यूटर और कुर्सी और घर में मशीनें जगह ले चुके हैं. इंसान को बैठे-बैठे अपना हर काम करने की आदत हो गई है. जिसके कारण मांसपेशियां कमज़ोर होती जा रही हैं. कई बार भारी वजन उठाने या किसी भारी सामान को खींचने से भी रीढ़ के हिस्से में दबाव पड़ता है और स्लिप डिस्क जैसी समस्या हो सकती है.

स्पाइन या रीढ़ की हड्डी का काम पूरे शरीर का भार उठाना होता है. ऐसे में अगर स्पाइन पर दवाब पड़ना शुरू हो जाए तो, पूरे शरीर पर खतरा मंडराने लगता है. इतना ही नहीं, रीढ़ की हड्डी में पैदा होने वाली समस्या शरीर के साथ साथ दिमाग पर भी असर डालती है.

दरअसल, स्पाइन जब सही अवस्था में नहीं होती है तो इससे पीठ की मांसपेशियां और डिस्क पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब मांसपेशियां मजबूत होती हैं तो वे रीढ़ की हड्डी को उचित सीध में रखती हैं और पीठ के दर्द से बचाती हैं. साथ ही साथ, यह रीढ़ की हड्डी को सामान्य लचक से अधिक मूल्य से भी रोकती हैं.

लेकिन अगर मांसपेशियां कमज़ोर पड़ जाएं तो रीढ़ के सभी हिस्सों पर गहरा दबाव पड़ता है जिससे भयंकर दर्द उठ सकता है. यह दर्द गर्दन से लेकर कमर के निचले हिस्से तक होता है. आमतौर पर यह समस्या लोअर बैक में ज़्यादा देखी जाती है. ये स्थिति क्यों उत्पन्न होती है? इसके क्या कारण हैं? चलिए जानते हैं विस्तार से.

स्पाइन या रीढ़ की हड्डी का काम पूरे शरीर का भार उठाना होता है. ऐसे में रीढ़ की हड्डी में पैदा होने वाली समस्या शरीर के साथ साथ दिमाग पर भी असर डालती है. जिसके चलते आपको स्लिप डिस्क के अलावा कई अन्य बीमारियों का खतरा भी हो सकता है. ये स्थिति क्यों उत्पन्न होती है? इसका उपचार क्या है? सब जानते हैं हैं विस्तार से.