गरीबों की संख्या पता लगाने के लिए मोदी सरकार ने किया ये काम, कहा जिसके पास हैं ये 10 चीजें वो …

सूत्रों के हवाले से इकनॉमिक टाइम्सने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सांख्यिकी मंत्रालय ने फील्ड वर्क शुरू किया है, जबकि नीति आयोग सरकारी योजनाओं को लेकर राज्यों और देश की परफॉर्मेंस का आकलन कर रहा है।

 

गौरतलब है कि वर्ल्ड बैंक ने भारत को लोअर मिडिल आय वाला देश माना है। वहीं पड़ोसी देश चीन को मिडिल इनकम वाले देशों में शामिल किया है।

देश में गरीबी का पैमान अब नए तरीके से तय करने का फैसला किया गया है। सरकार अब गरीबी के पैमाने को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मुताबिक तय करेगी।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र डिवेलपमेंट प्रोग्राम के गरीबी के इंडेक्स में सिर्फ आय को ही पैमाना नहीं माना जाता। इस इंडेक्स को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीने के स्तर के आधार पर तय किया जाता है। इसके लिए 10 संकेतकों को चुना गया है.

जैसे स्वास्थ्य (शिशु मृत्यु दर), शिक्षा, पानी, शौचालय, बिजली, संपत्ति, खाने बनाने का ईंधन, घर की छत और संपत्ति शामिल हैं।

केंद्र सरकार ने देश में गरीबों की संख्या जानने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सर्वे शुरू किया है। मोदी सरकार इस सर्वे के जरिए देश में कितने लोग गरीब हैं इसका आंकड़ा पता लगाएगी।

साथ ही इसके जरिए जरूरी सुविधाओं के अभाव और सरकारी योजनाओं की पहुंच के बारे में पता लगाया जाएगा। इससे पहले गीरीब रेखा के आइडिया को खारिज किया जा चुका है।

दरअसल 2014 में ही नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में सी. रंगराज कमिटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें गरीबों की संख्या तेंडुलकर कमिटी के मुकाबले 10 करोड़ ज्यादा बताई गई थी।