राज्यसभा में अब नहीं होगा ये काम, लोगो ने कहा दुर्भाग्य

वामदलों ने जम्मू और कश्मीर में आम लोगों के  जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के मामले पर राज्यसभा में सभापति द्वारा चर्चा कराने की अनुमति नहीं देने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुये बोला है कि राष्ट्रीय हित के जरूरी मुद्दों पर चर्चा कराने के बजाय सदन का स्थगन उचित उपाय नहीं है.

माकपा के राज्यसभा मेम्बर के के रागेश ने मंगलवार को इस मामले पर उच्च सदन की मीटिंग दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित किये जाने के बाद संसद भवन परिसर में संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने सभापति एम वेंकैया नायडू से नियम 267 के तहत कश्मीर  जेएनयू के मामले पर चर्चा कराने का अनुरोध किया था. रागेश ने कहा, ”हमने अपनी मांग आसन के समक्ष रखी थी लेकिन सभापति ने इस पर संज्ञान लेने के बजाय मीटिंग को स्थगित कर दिया.

माकपा के बिनय विस्वम ने बोला कि जेनयू में विद्यार्थियों के  जम्मू और कश्मीर में जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का लगातार हनन किया जा रहा है. उन्होंने बोला कि इस मामले पर माकपा के इलामारम करीम ने नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग की जिसे सभापति ने ठुकरा दिया. करीम ने बोला कि सोमवार को ही राज्यसभा के 250वें सत्र पर आयोजित चर्चा में खुद सभापति  पीएम नरेन्द्र मोदी ने जरूरी मुद्दों पर चर्चा को वरीयता देने की बात कही थी, लेकिन इसके अगले दिन ही इतने जरूरी मुद्दों पर चर्चा की मांग को ठुकराना दुर्भाग्यपूर्ण है.

उल्लेखनीय है कि जेएनयू में फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे विद्यार्थियों पर सोमवार को पुलिस के कथित लाठीचार्ज को वामदलों सहित अन्य विपक्षी दल विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं. विस्वम ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्देद 370 हटाये जाने के बाद पिछले तीन महीने में दशा सामान्य नहीं होने का हवाला देते हुये सोमवार को नियम 267 के तहत इस मामले पर चर्चा कराने का नोटिस दिया था. सभापति ने इसे अस्वीकार कर दिया था.