इस महिला ने लेह के चरवाहा कारीगरों को दिया रोजगार, तीन साल में खड़ा कर दिया लग्जरी ब्रांड

साल 2013 में दिल्ली की रहने वाली अभिलाषा बहुगुणा ने कश्मीरी पश्मीना विक्रेताओं से अपनी मकान मालकिन को मोलभाव करते हुए देखा। इस पर उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर किया क्यों यह क्षेत्र अव्यवस्थित है और अगर कलाकार एक कॉर्पोरेटिव बनाते हैं तो उन्हें काफी फायदा हो सकता है, साथ ही मोल भाव की चिकचिक में नहीं फंसना पड़ेगा। अभिलाषा बहुगुणा ने पंजाब यूनिवर्सिटी और नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ टीलबर्ग से अपनी शिक्षा पूरी की है।

अभिलाषा को कारीगरों के लिए एक प्लेटफार्म तैयार करने का विचार उनके पति जी प्रसन्ना के कारण आया, जो 2015 में लेह में डिप्टी कमिश्नर के पद पर पोस्टेड थे। आईएएस जी प्रसन्ना को चुमुर गांव की महिलाओं के समूह ने बुने हुए पश्मीना मोजे दिखाएं, जिससे वह काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इस क्षेत्र की महिलाओं को प्रोजेक्ट लक्सल नाम के एक कौशल विकास पहल के बारे में बताते हुए इसे हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया। जिसमें क्षेत्र की 150 महिलाओं को बुनाई का प्रशिक्षण दिया गया।

शुरुआत के चार साल बहुगुणा को फंडिंग नहीं मिली। लेकिन यह उनके लिए एक वरदान बना, जब महिलाएं एक हुई और खुद का राॅ मटेरियल प्राप्त कर उन्होंने अपनी जगह पर प्रोडक्शन शुरू किया, साथ स्थानीय पर्यटकों को अपने प्रोडक्ट्स बेचना शुरू किया। 2018 में बहुगुणा को आईआईएम अहमदाबाद में बतौर मेहमान शामिल हुईं, जहां उनकी मुलाकात इटली के लजरी ब्रांड जेग्रा के सीईओ गिल्डो जेग्रा से हुई। वह लद्दाख के लूम्स से प्रेरित हुईं और इसे ग्लोबल लग्जरी ब्रांड बनाना चाहा।

बाद में अभिलाषा को एनबीए फाउंडेशन आफ नाबार्ड ने एक करोड़ रुपये की फंडिंग दी और जिससे लेह की महिलाओं की प्रतिभा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक फैलाने का मौका मिल सका। महज तीन साल में उन्होंने लद्दाख के 16 गांवों की 450 से अधिक महिलाओं के साथ फार्म-टू-फैशन समूह बनाने में मदद की, जो कि चरवाहा कारीगर के नेतृत्व वाले लग्जरी ब्रांड का निर्माण किया, जिसे लूम्स ऑफ लद्दाख कहा जाता है।