इसके बाद कोविड-19 का असर होना शुरू हो गया था। धीरे-धीरे लॉकडाउन लगता गया। उस समय 250 रुपए किलो आने वाला पैरासिटामॉल अब हम लोग 400 रपये किलो तक खरीद रहे हैं। अब जब कोविड-19 का असर कम हुआ तो हमने सोचा था कि चीन से सप्लाई शुरू होगी तो इसके भाव में कमी आएगी मगर ये वृद्धि निराशाजनक है।
सबसे ज्यादा मुश्किल इंदौर के उन छोटे दवा निर्माताओं के सामने खड़ी हो गई है, जिन्होंने सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग में आपूर्ति के लिए ठेके ले रखे हैं।
उन्हें तो पुरानी दरों पर ही दवा आपूर्ति करनी होगी। आपकी सूचना के लिए बता दे कि इंदौर बेसिक ड्रग एसोसिएशन के सचिव जेपी मूलचंदानी बताते हैं कि गलवन में गतिरोध के कारण चीन के व्यापारियों ने एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) कच्चे माल के दामों में वृद्धि कर दी है।
कुछ दिने पहले लद्दाख की गलवन घाटी में जारी टकराव के बीच चाइना ने दवा निर्माण में इस्तेमाल कच्चे माल के दामों में 15 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। इससे घरेलू दवा निर्माताओं के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। डोकलाम गतिरोध के समय भी चीन ने ऐसा ही किया था।