अमेरिका और चीन के बीच हुआ ये , तगड़ा संदेश देकर की शुरुआत…दागी मिसाइलें और…

चीन की इस हरकत से दक्षिण चीन सागर के सीमावर्ती देश वियतनाम और ताइवान को परेशानी झेलनी पड़ती है। वियतनाम ने चीन को परकेल द्वीप में नौ सेना अभ्यास के लिए यह कह कर आपत्ति करता रहा है कि चीन उसकी संप्रभुता के लिए ख़तरा बना हुआ है।

 

चीन ने बुधवार सुबह दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के कथित ख़ुफ़िया विमानों को बतौर चेतावनी दो मिसाइल प्रक्षेपित किए, जिनमें एक तो मिलिट्री युक्त एयर क्राफ़्ट कैरियर मिसाइल थी।

चीनी मिलिट्री सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि अमेरिका का एक एयरक्राफ़्ट यू एस यू -2 ख़ुफ़िया विमान दक्षिण चीन सागर के ‘नो फ़्लाई ज़ोन’ में घुस आया था.

जब उसकी नौ सेना टुकड़ियाँ सागर के उत्तरी तट बोहाई सागर में अभ्यास कर रही थीं। ये मिसाइलें एक, डी एफ -26 बी इसके किंघाई प्रांत के उत्तर-पश्चिम और दूसरी डी एफ -21 डी देश के पूर्व में झेजीयँग से छोड़ी गई थीं।

यही नहीं, चीन-आसियान आचार संहिता का भी पालन नहीं कर रहा है। चीन ने पिछले ही महीने ताइवान को ‘एक देश दो प्रणाली’ की धमकी देते हुए ताइवान के समुद्री क्षेत्र नौ सेना अभ्यास कर उसकी संप्रभुता को ललकारने की कोशिश की थी।

अमेरिका के वाणिज्य विभाग का आरोप है कि चीन की दो दर्जन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम सैन्य ठिकाने बनाने में चीनी सैन्य अधिकारियों की मदद की है।

इन कृत्रिम सैन्य ठिकानों की दुनिया भर में भर्तस्ना हो चुकी है। अमेरिका के विदेश विभाग ने भी उन चीनी व्यक्तियों अथवा अधिकारियों के विरुद्ध अमेरिका आने पर वीज़ा पर रोक लगाएगी।

अमेरिका ने कड़े संदेश में यह भी कहा है कि चीन आसियान देशों को उनकी संप्रभुता को ललकार रहा है और उनकी ओर से गैस एवं तेल के संवर्धन में बाधक बना हुआ है। अमेरिका के टोही विमान और युद्धपोत पिछले कुछ अरसे से दक्षिण चीन सागर में चीनी गतिविधियों पर निगाहें लगाए हुए है।

अमेरिका और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर में अन्तर्राष्ट्रीय जल मार्ग और इसके सीमावर्ती देशों की संप्रभुता ले कर ठन गई है। चीन की ओर से बुधवार की सुबह विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के टोही विमानों को सतर्क किए जाने के इरादे से दो मिसाइलें दागीं.

तो अमेरिका ने भी फ़ौरी कार्रवाई में दो दर्जन बहुराष्ट्रीय कंपनियों और अनेक शीर्ष अधिकारियों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगा कर एक तगड़ा संदेश देने की कोशिश की है कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय जहाज़ों की आवाजाही के लिए बाधक नही बनें।