शिवसेना ने रातो – रत कर डाला ये काम, देख छूटे नेताओ के पसीने

दरअसल, द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) द्वारा 2019 के लिये लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक सूची में हिंदुस्तान 10 जगह लुढ़क कर 51वें जगह पर आ गया है.

 

संस्था ने इस गिरावट की मुख्य वजह देश में “नागरिक स्वतंत्रता का क्षरण” बताया है. अखबार ने बोला कि अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त करने, नया नागरिकता कानून सीएए तथा प्रस्तावित एनआरसी के विरूद्ध प्रदर्शन हुए. बीते एक वर्ष से यहां आंदोलन चल रहे हैं.

इसमें बोला गया कि प्रदर्शन हुए व विरोध के स्वरों को दबाने के कोशिश हुए. जिन्होंने जेएनयू के विद्यार्थियों के प्रति सहानुभूति दिखाई उन्हीं पर जाँच बिठाकर उन्हें ही आरोपी की तरह दिखाया गया.

यही वजह है कि हिंदुस्तान लोकतंत्र सूचकांक में फिसल कर 51वें पायदान पर पहुंच गया. संपादकीय में बोला गया कि अगर सरकार इस रिपोर्ट को खारिज भी कर देती है तो क्या सत्तारूढ़ दल के पास इसका कोई जवाब है कि आखिर क्यों देश आर्थिक मोर्चे से लेकर लोकतंत्रिक मोर्चे पर फिसल रहा है.

शिवसेना ने शुक्रवार को बोला कि विरोध के स्वरों को दबाने के कोशिश हो रहे हैं व यही एक वजह है कि हिंदुस्तान 2019 लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक रैंकिंग में 10 जगह लुढ़क गया है.

शिवसेना के संपादकीय सामना में बोला गया कि अर्थव्यवस्था में नरमी से असंतोष तथा अस्थिरता बढ़ रही है व यह देश में बने दशा से जाहिर है. मराठी अखबार में बोला गया, अब (आर्थिक नरम के बाद) वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक की रैंकिंग (भारत की) भी लुढ़क गई.