बिहार में एक बार फिर बनेगी ये सरकार, इतनी सीटो से जीता चुनाव

एग्जिट पोल पर बात करने से पहले आइए नजर डालते हैं कि आखिर एग्जित पोल की शुरूआत कैसे हुई। दरअसल साल 1996 में दूरदर्शन ने ,सर्वप्रथम एग्जिट पोल की शुरूआत की थी।

 

जब वोटर्स वोटिंग कर बाहर निकल रहे थे। इस दौरान वोटर्स से पूछा गया कि आपने किसे वोट दिया इस आधार पर किए गए सर्वे से जो बड़े रिजल्ट्स निकलकर आए उन्हें ही एग्जिट कहा गया।

हालांकि दो साल बाद ही 1998 में इलेक्शन कमीशन ने ओपिनियन और एग्जिट पोल पर बैन लगा दिया गया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बाद में चुनाव आयोग के फैसले को रद्द कर दिया।

2009 में फिर एग्जिट पोल पर रोक लगाने की मांग की गई और इसके लिए कानून में संशोधन भी करना पड़ा। नए रूल्स के मुताबिक चुनावी प्रक्रिया के दौरान जब तक अंतिम वोट नहीं पड़ जाता, तब तक चैनल एग्जिट पोल नहीं दिखा सकते।

मंगलवार सुबह जैसे ही वोटिंग शुरू हुई वैसे ही शुरूआती दो घंटे तक आरजेडी और महागठबंधन, एनडीए से काफी आगे दिख रहा था, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे यह फासला कम होता गया।

10 बजते-बजते एनडीए, महागठबंधन से तीन सीट आगे निकल गया। 243 सीटों पर मिले रुझानों में एनडीए119 और महागठबंधन 116 सीटों पर आगे चल रहा था।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के रूझान आ चुके हैं। इन रूझानों में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने का आसार हैं। इससे पहले एक को छोड़कर बाकी सभी एग्जिट पोल सर्वें में महागठबंधन के जीत की बात कही जा रही थी।

हालांकि जैसे वोटों की गिनती शुरू हुई सभी अनुमान धरे के धरे साबित रह गए। ऐसा नहीं है कि पहली बार एग्जिट पोल फेल हुए इससे पहले भी तमाम चुनाव में बहुत सी सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनलों ने एग्जिट पोल जारी किया लेकिन एग्जिट पोल के दावे झूठे साबित हो गए।