चीन से खौफ में आकर इस देश ने मांगी भारत से मदद, कहा हमें बचाए…

भारत के साथ अपने रिश्ते सामान्य करने के लिए तैयार है परंतु इसके साथ ही भारत की कुछ शर्तें भी इसबार प्रभावी दिख रहीं है। वर्तमान के घटनाक्रम को देखें तो भारत का नेपाल को स्पष्ट संदेश है कि नेपाल को भारत के साथ उसके सम्बन्धों को नया आयाम एक दूसरे के सम्मान के साथ देना होगा।

साथ ही जिस प्रकार की घटनाएँ मानचित्र को लेकर हुई हैं, वह किसी भी सूरत में दोहराए नहीं जाने चाहिए। भारत नेपाल को इस बार स्पष्ट करना चाहता है कि उसके नए सम्बन्धों की पटकथा चीन से उसके दूरी को बनाए जाने के बाद ही लिखी जाएगी।

अब इस दौरे के पीछे अनेक कारण है, जिनमें सबसे प्रमुख है भारत के साथ अपने पुराने संबंध को मजबूत करना। ऐसा इसलिए है क्योंकि नेपाल भी भली-भांति जानता है कि वह चीन से एक बार को पंगा मोल ले सकता है, परंतु भारत से नहीं। इसी परिप्रेक्ष्य में हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में प्रकाश डालते हुए लिखा है.

‘यहाँ पर आशा है कि जनरल नारावने की नेपाल में जमकर खातिरदारी होगी, क्योंकि ओली सरकार महाकाली नदी पर निर्माणाधीन पन्चेश्वर मल्टी पर्पज़ परियोजना को पुनः प्रारंभ करना चाहते हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर चर्चा प्रारंभ हो चुकी है और 80 प्रतिशत समस्याओं का समाधान भी हो चुका है। भारत पहले ही दो हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं के निर्माण में युद्धस्तर पर काम कर रहा है।’

इसकी शुरुआत भी हो चुकी है, क्योंकि कल यानि 4 नवंबर को भारतीय थलसेना के अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नारावने नेपाल के कई महीनों से स्थगित दौरे पर जाएंगे, जहां उन्हे नेपाली राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारी द्वारा नेपाली थलसेना के अध्यक्ष के मानद पद से सुशोभित किया जाएगा।

इसके अलावा अगले दिन यानि 5 नवंबर को जनरल नारावने नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली, जो कि रक्षा मंत्री के अतिरिक्त पदभार को भी संभाल रहे हैं इस नाते उनसे भी विशेष मुलाकात करेंगे।

यदि वुहान वायरस से कोई सकारात्मक परिणाम सामने आया है, तो वह है भारत के कूटनीतिक कद में वृद्धि। अब भारत का डंका केवल एशिया में नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में बज रहा है, और जो देश किन्ही कारणों से भारत से नाराज थे या भारत को चुनौती देना चाहते थे.

वह अब भारत से अपने कूटनीतिक संबंध पुनर्स्थापित करना चाहते हैं, और इन्ही में अग्रणी है नेपाल। एक दो महीने पहले चीन के इशारों पर भारत को आंखे दिखाने वाली नेपाल की वर्तमान सरकार अब समझ चुकी है कि भारत के बिना उसका कोई गुजारा नहीं।

इसके अलावा जिस प्रकार से चीन नेपाल की जमीन पर आँख गड़ाये बैठा है, उससे नेपाली जनता में आक्रोश दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अब चाहे स्वेच्छा से, या जन दबाव के कारण, परंतु नेपाल अब भारत से अपने संबंधों में आई दरार को पाटना चाहता है।