मुसलमानों के लिए जारी हुई ये गाइडलाइन, कहा मस्जिदों में न करे…

सऊदी अरब ने भी अपनी मस्जिदें बंद कर दीं, जिनमें दुनिया की सबसे पवित्र कही जाने वाली मक्का की मस्जिद भी शामिल है.

 

 

ईरान की इस्लामी सरकार ने कहा है कि अगर मुसलमान लॉकडाउन के कारण रमज़ान में रोज़े न रखना चाहें तो कोई हर्ज नहीं.

उधर भारत के ज़िम्मेदार मुसलमानों ने भी रमज़ान के महीने में लोगों से मस्जिद जा कर नमाज़ न पढ़ने की सलाह दी है.

लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के इमामों और मौलवियों ने अपनी सरकार के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी और मौलवियों की एक काउन्सिल ने घोषणा की है कि मुसलमान रमज़ान के महीने में मस्जिदों में जाकर नमाज़ अदा करेंगे.

भारत के बुद्धिजीवियों ने मौलवियों से सलाह करके भारतीय मुसलमानों के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनमें से ख़ास ये हैं:  मस्जिदों के बजाय मुसलमान अपने घरों में नमाज़ पढ़ें और लॉकडाउन में मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अज़ान भी बंद कर दें.

रोज़ा खोलने के बाद रात में पढ़ी जाने वाली नमाज़ और तरावीह (रोज़ा खोलने के बाद की एक अहम नमाज़) भी घरों में पढ़ें मस्जिदों में इफ़्तार पार्टी का आयोजन न करें रमज़ान की ख़रीदारी के लिए घरों से बाहर न निकलें

इसके अलावा देश भर की कई मस्जिदों से भी रमज़ान के महीने में लॉकडाउन का पालन करने की घोषणा की जा रही है.

दिल्ली के महारानी बाग़ इलाक़े में एक पुरानी मस्जिद है जिसके गेट पर ताला पड़ा है. इसकी देख-रेख करने वाले मुइनुल हक़ ने कहा कि मस्जिद बंद ज़रूर है लेकिन पाँचों वक़्त लाउडस्पीकर से अज़ान होती है जिसमें रमज़ान में नमाज़ घर पर पढ़ने की अपील की जा रही है.

मुसलमानों ने रमज़ान की तैयारियां शुरू कर दी हैं. लेकिन लोगों से बातें करके लगता है कि इस लॉकडाउन में वो खान-पान के बजाय रूहानी तैयारी में जुटे हैं.

सऊदी अरब की सबसे शीर्ष धार्मिक परिषद ने दुनिया भर के मुसलमानों से रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान मस्जिदों में जाकर नमाज़ न पढ़ने की अपील की है ताकि कोरोनो वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाया जा सके. वरिष्ठ विद्वानों के परिषद ने कहा कि मुसलमानों को सभाओं से बचना चाहिए.

रमज़ान भारत में 23 या 24 अप्रैल से शुरू होगा और एक महीने चलेगा. इसके बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है जिसमें आमतौर पर लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और गले मिलते हैं.कोरोना के चलते भारत में लॉकडाउन है और देश भर की मस्जिदें बंद हैं.