देहरादून शहर में स्कूली बच्चों के परिवहन को लेकर उठा ये सवाल, चल रही थी ऐसे धान्धलेगर्दी

देहरादून शहर में स्कूली बच्चों के परिवहन को लेकर वाहन संचालक तमाम नियम तार-तार कर रहे हैं। हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद अवैध वाहनों में स्कूली बच्चों का परिवहन किया जा रहा है। शुक्रवार को परिवहन विभाग ने चेकिंग में ऐसे पांच वाहन सीज किए। इन वाहनों में न तो परमिट था, न ही फिटनेस, न वेसड़क पर चलने को मान्य थे। चेकिंग में एक वैन तो ऐसी मिली, जिसमें 19 बच्चे बैठाए हुए थे।

एआरटीओ अरविंद पांडे ने बताया कि स्कूली वाहनों समेत परिवहन नियम तोड़ने वाले अन्य वाहनों की शुक्रवार को औचक चेकिंग की गई। इनमें एक टाटा सूमो, वैन और एक सिटी बस में बच्चों का परिवहन किया जा रहा था। टाटा सूमो और वैन की फिटनेस भी खत्म थी और इनकी आयु भी पूरी हो चुकी थी। इतना ही नहीं, वाहन के मालिकों ने इनका पंजीकरण नवीनीकरण भी नहीं कराया था।

वहीं, सिटी बस नालापानी रूट की थी लेकिन बस के पास परमिट ही नहीं था। न फिटनेस थी, न टैक्स जमा हो रखा था। इसी तरह दो वाहन और पकड़ में आए, जिनमें अवैध तरीके से स्कूली बच्चों को ठूंस-ठूंसकर भरा हुआ था। विभाग की ओर से चेकिंग में 40 अन्य वाहनों के चालान भी किए गए।

प्रदूषण जांच में न करें हाय-तौबा

नए मोटर वाहन अधिनियम के लागू होने के बाद प्रदूषण जांच केंद्रों पर जुट रही भीड़ को देखते हुए परिवहन विभाग ने लोगों को किसी भी तरह की हॉय-तौबा न मचाने की सलाह दी है। दरअसल, लोगों को डर लगा है कि अगर प्रदूषण जांच न होने पर वाहन का चालान हुआ तो सीधे दस हजार रुपये की चपत लग सकती है। इस कारण सुबह से रात तक प्रदूषण जांच केंद्रों पर लोगों की भीड़ जुट रही और केंद्र संचालक मनमाना शुल्क वसूल रहे।

एआरटीओ अरविंद पांडे ने बताया कि जब तक राज्य सरकार प्रदेश के लिए नियमावली जारी नहीं कर देती तब तक परिवहन विभाग चेकिंग में शिथिलता बरत रहा है। आमजन को परेशानी नहीं हो, इसका ध्यान रखा जा रहा। वाहन के लिए प्रदूषण जांच जरूरी है, लेकिन इसके लिए हाय-तौबा न मचाएं। अगर कोई संचालक मनमाना शुल्क वसूल रहा तो उसके संबंध में आरटीओ दफ्तर में शिकायत करें।