सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का खुला राज, हाथ लगा ये सुराग

भागलपुर से सुभाष चंद्र बोस का गहरा लगाव था। उनके बड़े भाई सुरेशचंद्र बोस का ससुराल भागलपुर में ही था। सभा करने के बाद नेताजी ढेबर गेट के पास प्रभाष मंदिर (भाई के ससुराल) में आधा घंटे ठहरे थे और परिवार वालों से बातचीत की थी।

 

इस दौरान उन्होंने ब्लैक कॉफी भी पी थी। रिश्तेदार निरूपम कांतिपाल ने कहा कि स्व. आभाष चंद्र पाल (उनके दादाजी) की बहन अरुण प्रभा की शादी नेताजी के बड़े भाई सुरेशचंद्र से हुई थी।

आज भी बोस फैमिली से कोलकाता में उनका मिलना-जुलना होता है। उन्होंने कहा कि नेताजी धोती-कुर्ता पहनकर ढेबर गेट के पास भाई के ससुराल आये थे। वो यहां फोटो भी खिंचवाए थे। डस स्टूडियो ने उनकी फोटोग्राफी की थी।

उन्होंने बताया कि 1932 के फरवरी माह में लाजपत पार्क में सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। उन्होंने फारवर्ड ब्लॉक में जान डालने व युवाओं को देश की आजादी में आगे आने का आह्वान किया था।

इतिहासकार डॉ. रमण सिन्हा ने कहा कि उस सभा की अध्यक्षता बाबू शिवधारी सिंह ने की थी। उस सभा में नेताजी ने पूर्ण स्वराज की मांग की बात कही थी। सभा में नौ-10 हजार से अधिक लोगों की भीड़ जुटी थी।

आज भी यहां संजोकर रखी है वो कुर्सी जिस पर कभी बैठते थे नेताजी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की वो कुर्सी भागलपुर से उनके संबंधों की याद दिलाता है।

उनके रिश्तेदार मुंदीचक निवासी निरूपम कांतिपाल पिछले 88 साल से वह कुर्सी संजोकर रखे हैं। फरवरी 1932 में नेताजी फारवर्ड ब्लॉक का प्रचार करने यहां पहुंचे थे और एक सभा को संबोधित किये थे।