भारत में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार जा रही बढ़ती, लॉकडाउन को लेकर हुआ ये बड़ा फैसला

जब हमारे विशेषज्ञ ने इस बारे में डब्ल्यूएचओ की प्रोफेसर रामनाथन से चर्चा की तब उन्होंने बताया कि “मेरे ख्याल से लॉक डाउन एक स्थाई समाधान नहीं हो सकता. इसमें कोरोना के मरीज की रफ्तार धीमी की जा सकती है लेकिन रोकी नहीं जा सकती। कोरोना से लड़ने का एकमात्र उपाय स्वयं पर रोक लगा कर रखना है और स्वयं ही लॉकडाउन का पालन करना है। जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं मिल जाती हमें खुद को ही इस तरह तैयार करना होगा कि जैसे लॉकडाउन लगा हुआ है।”

इससे देश की अर्थव्यवस्था को तो नुकसान होगा ही साथ ही साथ जब तक लॉकडाउन लगा रहेगा तब तक धीरे-धीरे करुणा के मरीज आते ही रहेंगे। इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि लॉकडाउन लगाने से को रोना को रोका जा सकता है। एक पल के लिए अगर हम छे महीने का लॉकडाउन लगा भी दें तब भी कभी ना कभी तो लॉकडाउन खुलेगा और जब तब खुलेगा तब फिर से कोरोना के नए मरीज आना शुरू हो जाएंगे।”

भारत में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इस पर नासिर सरकार गहन चिंतन कर रही है बल्कि लोगों के मन में भी यह सवाल है कि क्या लॉकडाउन के बिना भारत में कोरोना मरीजों के केसेस को घटाया जा सकता है।

लॉकडाउन में हम लोगों ने यह चीज जरूर देखा था कि भारत में कोरोना मरीजों की संख्या प्रतिदिन 500 से 1000 ही आ रही थी लेकिन जब से लॉकडाउन हटा है तब से अब तक कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है और प्रतिदिन 20 से 25000 नए के सामने आ रहे हैं।

जब हमारे संवाददाता ने इसके बारे में कुछ विशेषज्ञों से चर्चा की तो उन्होंने अपने अपने सुझाव दिए। इस पर एम्स के निर्देशक रणदीप गुलेरिया ने यह कहा कि “लॉकडाउन कहीं पर भी और किसी भी प्रकार से स्थाई समाधान नहीं है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को तो नुकसान होगा ही साथ ही साथ जब तक लॉकडाउन लगा रहेगा तब तक धीरे-धीरे करुणा के मरीज आते ही रहेंगे। इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि लॉकडाउन लगाने से को रोना को रोका जा सकता है। एक पल के लिए अगर हम छे महीने का लॉकडाउन लगा भी दें तब भी कभी ना कभी तो लॉकडाउन खुलेगा और जब तब खुलेगा तब फिर से कोरोना के नए मरीज आना शुरू हो जाएंगे।”