अर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही देश पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे। लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश स्वतंत्र हो गए।अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबख इलाके को लेकर विवाद हो गया।
दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस 4400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अजरबैजान का घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां आर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या अधिक है।
दरअसल, अर्मेनिया और अजरबैजान की सेना के बीच 27 सितंबर से ही नागोर्नो-काराबख क्षेत्र में एक इलाके पर कब्जे को लेकर हिंसक संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में अब तक दोनों ओर से कई लोगों की मौत हो चुकी है। रूस की मध्यस्थता के बाद 10 अक्टूबर को दोनों ही देश युद्ध विराम लागू करने पर सहमत हो गए थे, लेकिन हिंसा दोबारा शुरू हो गयी है।
युद्ध विराम को लेकर बनी सहमति के मद्देनजर दोनों देश संघर्ष के दौरान बंदी बनाए गए लोगों को छोड़ने के अलावा मृतकों के शवों का आदान-प्रदान भी करेंगे।
अर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने वक्तव्य में कहा, ” अर्मेनिया गणतंत्र और अजरबैजान मानवीय आधार पर 18 अक्टूबर की मध्यरात्रि से युद्ध विराम लागू करने को लेकर सहमत हो गए हैं।”
अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध विराम लागू करने को लेकर सहमति बन गयी है। अर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक वक्तव्य जारी कर यह जानकारी दी। यह युद्ध विराम रविवार 18 अक्टूबर की मध्यरात्रि से लागू होगा।