अभी – अभी लद्दाख से आई ये बड़ी खबर, तोपों और बंदूकों से ज्यादा…

पीएम मोदी जानते थे कि राजनाथ सिंह की नैतिकता और जवानों का हौसला बढ़ाने में राजनाथ सिंह उतने सक्षम नहीं होंगे ।‌ एक ओर कांग्रेस समेत विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री से चीनी सेनाओं के हमारी जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाकर जवाब मांग रहे थे तो दूसरी ओर देश की जनता भी चीन को कड़ा सबक सिखाने के लिए मोदी से अपेक्षा कर रही थी ।‌

मोदी अपने साथ सिर्फ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और थलसेना प्रमुख नरवणे को साथ ले गए । शुक्रवार सुबह जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेह पहुंचे तो हर कोई चौंक गया। पीएम मोदी ने यहां सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान थल सेना, वायुसेना के अधिकारी भी शामिल रहे ।

बता दें कि पिछले कई दिनों से दोनों ही सेनाएं लेह और लद्दाख इलाके में तैनात हैं और अभ्यास कर रही हैं । लद्दाख के गलवान इलाके और पैंगोंग 4 इलाके में लगातार दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने हैं। घाटी से चीन पर मोदी ने जबरदस्त प्रहार कर भारत को दिए गए जख्मों को कुछ कम करने का प्रयास भी किया है।

हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को लद्दाख स्थित चीनी बॉर्डर नीमू दौरे की । यह स्थान चीन का प्रवेश द्वार भी कहलाता है । यहीं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी गरजती आवाज में चीन को ललकारा । 15 जून की रात गालवन घाटी में भारत और चीनी सैनिकों की भिड़ंत के बाद चीन पूरे विश्व भर में अपना सीना चौड़ा करके घूम रहा था ।

हालांकि भारत भी नई दिल्ली से चीनी हमले का जवाब देने में लगा हुआ था । लद्दाख की स्थिति भारत और चीन सीमा बॉर्डर पर पहले केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेजने का फैसला किया था ।

लेकिन ऐनमौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख घाटी में सेना के जवानों से मिलने और चीन को जवाब देने जा रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दौरा रद्द करा दिया ।

कुछ जख्म इतने असरदार होते हैं कि तोपों और बंदूकों से ज्यादा गहरे हो जाते हैं । शब्दों के प्रहारों से दुश्मन इतना बुरी तरह तिलमिला जाता है कि वह अपने आपको पिटा हुआ, हारा हुआ या अपमानित सा महसूस करने लगता है । ऐसे ही शुक्रवार को चीन भारत की बढ़ती ताकत को लेकर पूरे दिन बौखलाया रहा ।