रोजगार के लिए सरकार ने बनाया ये नया नियम, कहा अब ऐसे मिलेगी…

विश्व में 40 फीसदी आबादी ऐसी है जिन्हें उनके द्वारा बोली या समझे जानी वाली भाषा में शिक्षा उपलब्ध नहीं है।

 

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का प्रस्ताव हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश ने रखा था। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 1999 के आम सम्मेलन में इसे स्वीकार कर लिया। उस समय से पूरे विश्व में 21 फरवरी को यह दिवस मनाया जाता है।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि शिक्षा के शुरुआती चरणों में मातृभाषा में शिक्षण मन और विचार के विकास को गति देता है और बच्चों को अधिक रचनात्मक और तार्किक बनाता है।

मातृभाषा को प्रशासन की भाषा बनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि लोगों की भाषा ही प्रशासन की भाषा होनी चाहिए। काका साहेब काकेलकर ने कहा है, “यदि भारत में प्रजा का राज चलाना है.

तो वह जनता की भाषा में ही चलाना होगा।” भारतीय भाषाएं प्रशासन को लोगों के करीब ला सकती हैं। यह शासन को अधिक जन केंद्रित बना सकता है।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर देश की अद्वितीय भाषाई विरासत के संरक्षण पर जोर देते हुए मातृभाषा को रोजगार से जोड़ने की वकालत की।

उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा और रोजगार को भी जोड़ना होगा और राज्यों में रोजगार के लिए भारतीय भाषाओं के ज्ञान को अनिवार्य बनाना होगा।