रूस को पड़ी भारत की मदद की जरूरत, लगाई ये गुहार, कहा तैयार करे…

इस वैक्सीन को मॉस्को के गामलेया रिसर्च यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है। इसमें रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिकों ने भी सहयोग दिया है। रूस इस वैक्सीन को पूर्ण सुरक्षित बता रहे हैं।

 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी दावा किया था कि इस वैक्सीन की पहली डोज उनकी बेटी को दी गई है। हालांकि, इस वैक्सीन पर अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश भरोसा नहीं कर रहे हैं।

वहीं, किरिल ने बताया कि अभी तक 10 लाख से ज्यादा डोज की मांग आ चुकी है। भारत हर साल 5 करोड़ वैक्सीन बनाने की क्षमता रखता है। इसलिए भारत के साथ वैक्सीन बनाने की साझेदारी काफी अहम हो सकती है। उन्होंने बताया कि रूस इसके लिए भारत की ड्रग कंपनियों से संपर्क कर रहा है।

किरिल ने कहा, वैक्सीन उत्पादन के मामले में हमने रिसर्च की है। इसमें हमने पाया है कि भारत, ब्राजील, साउथ कोरिया और क्यूबा जैसे देश अधिक मात्रा में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता रखते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि इनमें से कोई देश स्पुतनिक वी वैक्सीन तैयार करने के मामले में इंटरनेशनल हब बने।

रूस के डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के सीईओ किरिल मित्रीव ने कहा, कई देशों से वैक्सीन की मांग आ रही है। इस मांग को पूरा करने के लिए हमें बड़ी मात्रा में वैक्सीन के निर्माण की जरूरत है।

दवा उत्पादन के मामले में भारत आगे है। हमें पूरा भरोसा है कि भारत बड़ी मात्रा में इस दवा को तैयार कर सकता है। हम इसके लिए साझेदारी करना चाहते हैं।

रूस ने हाल ही में दावा किया है कि उसने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन ‘स्पुतनिक वी’ बना ली है। अब रूस बड़ी मात्रा में वैक्सीन बनाने के लिए भारत की मदद चाहता है।

रूस ने कहा है कि वह भारत के साथ पार्टनरशिप में इस वैक्सीन का अधिक मात्रा में उत्पादन करना चाहता है। इससे पूरी दुनिया में वैक्सीन की मांग को पूरा किया जा सके।