सर्वोच्च कोर्ट द्वारा पर आए निर्णय के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष के बयान को लेकर अयोध्या में ऑल इंडिया मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के मेम्बर व बाबरी पक्षकार ने ऐतराज जताया है।
एआईएमपीएलबी के वरिष्ठ मेम्बर मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सोमवार को आईएएनएस से कहा, “पूरे मुल्क में जिस तरह से इतने बड़ा निर्णय आने के बावजूद किसी प्रकार की कोई वारदात नहीं हुई, इससे संदेश मिलता है कि तमाम हिन्दुस्तानी चाहते हैं कि अब मंदिर-मस्जिद मामले से आगे की बात होनी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय द्वारा सदियों पुराना मसला समाप्त कर दिया गया है। अब इस मामले पर किसी सियासी आदमी की सियासत के लिए कोई स्थान बची नहीं है। जिस प्रकार से अवाम द्वारा लगातार शांति बरकार है, इससे उन लोगों को संदेश मिल गया होगा जो इस पर सियासत करते हैं। ”
26 नवंबर को मस्जिद की जमीन पर फैसला
उन्होंने इस मुद्दे में पुनर्विचार याचिका डाले जाने पर कहा, “अब इस मामले को यहीं समाप्त कर देना चाहिए। इसमें आगे अब जाना नहीं चाहिए। पांच एकड़ जमीन पर क्या होना चाहिए इसका निर्णय मुस्लिम वक्फ बोर्ड को करना है। 26 नवंबर को बोर्ड की मीटिंग में इस पर फैसला लिया जाएगा। ”
कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं
अयोध्या विवादित धरती मुद्दे (Ayodhya Case) में बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, “सुप्रीम न्यायालय ने जो निर्णय किया है हम उसका सम्मान करते हैं। कौन इसमें क्या बोलता है यह न्यायालय के निर्णय से समाप्त हो जाता है। उच्चतम न्यायालय ने हमें पांच एकड़ जमीन दी है। उस जमीन का क्या करना है यह हम तय करेंगे, लेकिन हम ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे सौहार्द्र बिगड़े। ”
माहौल बेकार करना चाहते हैं ओवैसी
अंसारी ने कहा, “हम खुद पक्षकार हैं, कोई क्या कह रहा है, हम सुनते भी नहीं हैं, मैं पुनर्विचार याचिका नहीं डालूंगा। एक निर्णय आने में सत्तर वर्ष लग गए, जबकि सारे गवाह व सबूत हमने दिए। हम चाहेंगे कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारा बना रहे। ” राम जन्म धरती के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, “ओवैसी की बात न तो मुसलमान सुनते हैं न ही हिन्दू। उनकी बातों को कोई गंभीरता से नहीं लेता है। ” उन्होंने कहा, “भड़काऊ बयानबाजी करके वह माहौल बेकार करना चाहते हैं। उनकी बातों को कोई वर्ग महत्व नहीं देता है। सभी लोग उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हैं। “