मुस्लिम लीग ने मोदी सरकार के विरुद्ध किया ये काम, जानकर लोग हुए हैरान

मुस्लिम लीग ने एक अलग याचिका दायर कर पूछा है कि क्या नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटिजंस (NRC) को पूरे देश में लागू किया जाएगा?

 

साथ ही पूछा है कि क्या एनआरसी और एनपीआर की प्रक्रिया एकदूसरे से जुड़ी होगी. बता दें कि सीएए 2019 के खिलाफ करीब 60 याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित हैं.

इनकी सुनवाई 22 जनवरी को होनी है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सरकार के वरिष्‍ठ मंत्री यह स्‍पष्‍ट कर चुके हैं कि सीएए 2019, एनआरसी और एनपीआर में कोई संबंध नहीं है.

वहीं, विपक्ष और सरकार के आलोचक मंत्रियों के उन उलट बयानों का हवाला दे रहे हैं, जिनमें इन तीनों को एकदूसरे से जुड़ा हुआ बताया गया था.

कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली यूपीए-2 सरकार ने मुंबई हमले के बाद 2010 में जनसंख्‍या रजिस्‍टर (PR) लॉन्‍च किया था. इसके तहत नागरिकों का बायोमीट्रिक डाटाबेस तैयार किया जाने की योजना थी.

कहा जा रहा था कि सुरक्षा एजेंसियां इस डाटाबेस का इस्‍तेमाल आसानी से कर सकेंगी.इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA 2019) और नेशनल पॉप्‍यूलेशन रजिस्‍टर (NPR) पर रोक लगाने की मांग की है.

लीग ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार (Central Government) को सीएए 2019 और एनपीआर को पूरे देश में लागू करने से रोके. बता दें कि मुस्लिम लीग ने ही सबसे पहले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की थी.