लोकसभा में आसान लेकिन राज्यसभा में होगी इस मामले के लिए चुनौती

मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को आज लोकसभा में पेश करेगी. नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गाया है. विपक्ष के तमाम दल विरोध कर रहे हैं. लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत का आकंड़ा है. ऐसे में लोकसभा में विधेयक को पास कराना आसान है, लेकिन मोदी सरकार की असल चुनौती राज्यसभा में होनी है. हालांकि जेडीयू, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और शिवसेना ऐसे दल हैं, जिनके रुख पर बहुत कुछ निर्भर करेगा.

लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा है, जबकि राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है. ऐसे में मोदी सरकार को नागरिकता संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए दूसरे दलों के सहयोग की दरकार होगी. हालांकि पिछले दो सालों में बीजेपी और एनडीए की ताकत राज्यसभा में बेहतर हुई है. इसके अलावा विपक्षी दलों की ओर से बीजेडी और एआइएडीएमके जैसे दल नागरिकता संशोधन बिल पर मोदी सरकार को समर्थन कर सकते हैं.

बता दें कि राज्यसभा में फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 239 है. मतलब ये कि अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो बहुमत के लिए 120 वोट की जरूरत पड़ेगी. अगर एनडीए के साथ उन दलों की बात करें जो एनडीए का सहयोग कर सकते हैं तो उनकी संभावित संख्या 114 बनती है. इनमें बीजेपी के 83, बीजेडी के 7, एआइएडीएमके के 11 और अकाली दल के 3 सदस्य शामिल हैं.

विपक्ष के पास 108 वोट

नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष का जिस तरह से रुख है, ऐसे में सरकार को राज्यसभा में कड़ी चुनौती मिल सकती है. कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, सपा के 9, सीपीएम और डीएमके के 5-5 और आरजेडी, एनसीपी और बसपा के 4-4 सदस्यों समेत बाकी दलों को मिलाकर विपक्ष के पास कुल 108 सांसदों का समर्थन हासिल है.

विपक्ष को पूर्वोत्तर राज्यों से ताल्लुक रखने वाली कुछ छोटी पार्टियों का समर्थन भी मिल सकता है जो इस बिल के विरोध में हैं. हालांकि पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम वाले राज्य में इनर लाइन परमिट की व्यवस्था से CAB के दायरे से बाहर रखा गया है.

इन दलों पर होगी नजर

जेडीयू, वाईएसआर कांग्रेस और टीआरएस जैसी पार्टियों का रुख अभी तक साफ नहीं है. ऐसे में सबसे ज्यादा नजर इन्हीं दलों पर है. हालांकि, इस बात की संभावना कम है कि तीनों ही पार्टियां सरकार के खिलाफ वोट करेंगी. इनके या तो सरकार के साथ वोट करने की संभावना है या फिर ये मतदान में हिस्सा नहीं लेंगी. इन तीन दलों के पास राज्यसभा में कुल 13 सांसद हैं.

वहीं, शिवसेना ने इस बिल पर समर्थन के लिए शर्त रख दी है कि वह तभी साथ देगी जब 25 साल तक नई नागरिकता पाने वालों को वोटिंग का अधिकार न दिया जाए. राज्यसभा में शिवसेना के पास 4 सांसद हैं.

बहरहाल, अगर ये पार्टियां एनडीए के साथ जाती हैं तो संख्या बढ़कर 127 हो जाएगी जो बहुमत से ज्यादा है, लेकिन अगर ये मतदान में भाग नहीं लेती हैं तो बहुमत का आंकड़ा 111 हो जाएगा. वहीं पूर्वोत्तर से नाता रखने वाली पार्टी नगा पीपुल्स पार्टी के एकमात्र सांसद के भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने की संभावना है.