नागरिकता कानून को लेकर सरकार ने किया बड़ा एलान, कहा अब इन लोगो को देना होगा…

इस कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीआर फॉर्म 2020 में माता-पिता के जन्मस्थान और उनकी जन्मतिथि को लेकर सवाल पूछे गए हैं।

 

इसपर सरकार का तर्क है कि इससे बैक एंड डेटा प्रोसेसिंग और मजबूत होगा। गौरतलब है कि कई राज्यों ने एनपीआर को लेकर आपत्ति जाहिर की है। एनडीए के सहयोगी जदयू और एलजेपी ने भी इसको लेकर अपनी चिंता जाहिर की है।

गृहमंत्रालय ने कहा है कि एनपीआर 20100 में भी माता-पिता के जन्मस्थान और उनकी जन्मतिथि को लेकर सवाल पूछा गया था। जिनके माता पिता घर में नहीं रहते हैं या कहीं और रहते हैं या फिर उनका देहांत हो गया है, सिर्फ उन्हीं लोगों को अपने माता-पिता के जन्मस्थान और उनकी जन्मतिथि की जानकारी देनी है।

2020 में एनपीआर के तहत माता-पिता के बारे में व्यापक सवाल पूछे जाएंगे। गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जनगणना और एनपीआर की तैयारी जोरों पर है और एक अप्रैल से इसकी प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाएगा। जनगणना के लिए मकानों की सूची बनाने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक चलेगा। यह प्रक्रिया पूरे देश में चलेगी।

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का देश के तमाम राज्यों में विरोध हो रहा है। विपक्ष तमाम राज्यों से अपील कर रहा है कि अपने राज्य में एनपीआर को ना होने दें।

यही नहीं कई राज्यों ने एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया है। इन तमाम विरोध के बीच सरकार ने साफ कर दिया है कि वह एनपीआर में पूछे जाने वाले सवालों से पीछे नहीं हटेगी।

गृहमंत्रालय ने संसद की स्टैंडिंग कमेटी से कहा है कि इस तरह के सवाल पहले भी एनपीआर में पूछा जा चुके हैं। वहीं कमेटी का मानना है कि एनपीआर को लेकर सरकार लोगों को एकजुट नहीं कर सकी, लिहाजा इस बात का डर है कि जनगणना की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

बता दें कि एनपीआर की प्रक्रिया इस वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हो सकती है। गृहमंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी ने डिमांड फॉर ग्रांट्स (2020-2021) की रिपोर्ट राज्यसभा में गुरुवार को रखी है।