सरकार ने जारी किया ये बड़ा आदेश, कहा अब सभी कारो में लगेगा ये…, नहीं तो…

कार के बंपर पर एक इंपैक्ट सेंसर लगा होता है जैसे ही गाड़ी किसी चीज से टकराती है तो इंपैक्ट सेंसर की मदद से एक हल्का सा करंट एयरबैग के सिस्टम में पहुंच जाता है, और एयरबैग्स के अंदर sodium azide गैस भरी होती है.

 

उस गैस को वह गैस फॉर्म में प्ले आता है पहले यह किसी और फॉर्म भरी होती है जैसे इंपैक्ट सेंसर करंट भेजता है वह चीज गैस के रूप में परिवर्तित हो जाती है.

कारों में एयरबैग्स दुर्घटना में ड्राईवर और बगल में बैठे पैसेंजर की जान बचाने का कम करते हैं. जैसे ही गाड़ी की टक्कर लगती है, ये गुब्बारे की तरह खुल जाते हैं और जिससे कार में बैठे लोग कार के डैशबोर्ड या स्टेयरिंग से टकरा नहीं पाते और जान बाच जाती है. कारों में जो एयरबैग्स आते हैं उन्हें SRS एयरबैग्स के नाम से जाना जाता है.

यहां SRS का मतलब (Supplemental Restraint System) होता है, जोकि इस बात को बताता है कि जैसे ही आप अपनी कार स्टार्ट करते हैं, कार के मीटर में लगे SRS इंडिकेटर कुछ सेकेंड के लिए जल जाते हैं. अगर SRS इंडिकेटर कुछ सेकेंड्स के बाद ऑफ नहीं होते या फिर जलते रह जाते हैं तो समझ जाइए कि एयरबैग में कोई गड़बड़ है.

सेफ्टी के देखते हुए सरकार ने अब हर कार में एयरबैग स्टैंडर्ड फीचर के रूप में लगाना अनिवार्य कर दिया है. अब आप किसी भी कंपनी की कार लेंगे तो आपको उसके बेसिक मॉडल में भी एयरबैग मिलेगा.

दुर्घटना के समय एयरबैग आपकी जान बचाने के लिए काफी बेहतर फीचर है. जो लोग एयरबैग को महत्वपूर्ण फीचर नहीं मानते हैं इस खबर के पढ़ने के बाद इसका महत्व जान जाएंगे.

एयरबैग्स कॉटन से बने होते हैं, लेकिन इन पर सिलिकॉन की कोटिंग की जाती है. एयरबैग्स को खुलने के लिए एक सेकंड से भी कम समय (लगभग 1/20 सेकंड) लगता है और इसके खुलने की रफ़्तार करीब 300 km/h होती है.