परिवारवालो ने शवों को लेने से किया इंकार, कहा हमें…

तिहाड़ जेल से जुड़े जानकार बताते हैं कि तिहाड़ जेल हो या कोई और जेल, जे परिसर में अंतिम संस्कार होने के अपने कायदे-कानून हैं.

सबसे पहले तो यह देखा जाता है कि जिसे फांसी दी गई है तो क्या उसका शव बाहर जाने से कानून व्यवस्था पर कोई असर पड़ेगा.

क्या जनता भड़क सकती है. क्या देश या किसी शहर में हिंसा भड़क सकती है. अगर इसकी रत्तीभर भी आशंका होती है तो शवों का पोस्टमॉर्टम के बाद जेल में ही अंतिम संस्कार किया जाता है.

दूसरा यह कि ऐसा करने के लिए काफी सारी तैयारी करनी होती हैं, आला अफसरों की अनुमति लेनी होती है. जबकि निर्भया के इस केस में अभी तक अनुमति लेने की कोई प्रक्रिया शुरु नहीं हुई है.

एक संस्था के माध्यम से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले विजय कुमार बताते हैं कि वैसे तो हमारी संस्था यूपी में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती है. लेकिन कभी-कभी जेल के अंदर से भी सूचना मिलत है कि सजायाफ्ता कैदी की मौत हो गई है.

घर वालों ने शव को लेने से इंकार कर दिया है तो ऐसे में हमारी संस्था शव का अंतिम संस्कार करती है. तिहाड़ जेल सूत्रों की मानें तो अभी तक उनके घर वालों ने शवों को लेने का कोई दावा पेश नहीं किया है.

निर्भया गैंगरेप के चारों गुनहगारों को तिहाड़ जेल में फांसी दी जा चुकी है. अस्पताल में उनका पोस्टमॉर्टम भी शुरु हो गया है. लेकिन आखिरी वक्त में उनके अंतिम संस्कार का मुद्दा उलझ गया है.

चारों गुनहगारों का अंतिम संस्कार जेल के अंदर होगा या बाहर इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि जेल के अंदर अंतिम संस्कार करने के अपने कायदे-कानून हैं. यह मामला उस वक्त पेचिदा बन गया है जब गुनहगारों के घर वालों ने शवों को लेकर अभी तक कोई दावा नहीं किया है.