कोरोना के डर से लोग 4 महीने में खाए 250 करोड़ रुपये की ये दवा, सामने आया पूरा डेटा…

इस दवा को लॉन्च करते हुए बाबा रामदेव ने कहा था कि इस दवा बनाने में सिर्फ देसी सामान का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मुलैठी, गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासारि का इस्तेमाल इसमें किया गया है.

 

उन्होंने बताया कि गिलोए में पाने जाने वाले टिनोस्पोराइड और अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटी बैक्टीरियल तत्व और श्वासारि के रस के प्रयोग से इस दवा का निर्माण हुआ है.

फिर अगले ही दिन उत्तराखंड के आयुष विभाग ने पतंजलि को नोटिस भेजकर सात दिनों में जवाब तलब किया. फिर पतंजलि ने अपना दावा बदलते हुए इसे कोरोना वायरस के शर्तिया यानी रामबाण इलाज बताने की बजाय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला यानी इम्यूनिटी बूस्टर टेबलेट बताया. मार्केट में आते ही कोरोनिल किट की खूब बिक्री हुई.

हालांकि कोरोनिल की लॉन्चिंग के बाद इसका विवादों से भी साथ रहा है. पहले तो 23 जून को ही इस बात पर विवाद हो गया कि कोरोनिल कोरोना वायरस संक्रमण का रामबाण इलाज है.

कोरोना से लड़ने में कारगर होने का दावा करने वाली गोलियों को पतंजलि आयुर्वेद ने 23 जून को लांच किया था. ये बिक्री ऑनलाइन, ऑफलाइन, डायरेक्ट मार्केटिंग, जनरल मार्केटिंग और पतंजलि के देश विदेश में फैले औषधालय और चिकित्सा केन्द्रों के जरिए हुई है.

पतंजलि आयुर्वेद के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक कंपनी ने 18 अक्टूबर तक 25 लाख कोरोनिल किट बेचे हैं. बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार बीते चार महीने में ही ढाई सौ करोड़ रुपये की कोरोनिल गोलियां भारत और विदेशों में बिकी है.