चीन में गहराया भयंकर संकट, दूसरे देशों में भाग रहे लोग

चीन के सीमा शुल्क विभाग के अनुसार, देश ने इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान अपने अनाज के आयात में 22.7त्न की वृद्धि की है. जिससे खाद्यान्न आयात में 74.51 मिलियन टन की वृद्धि हुई है.

 

हालांकि चीन पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक रहा है फिर भी वह अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी यूएसए से इस साल 40 मिलियन टन सोयाबीन आयात करने की योजना बना रहा है.

आयात के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जून में चीन का गेहूं आयात सात साल के उच्च स्तर पर चला गया है. इसने जून 2020 के दौरान 910,000 टन गेहूं का आयात किया.

इसका मतलब है कि साल-दर-साल आधार पर 197त्न की वृद्धि हुई है. इसके अलावा, इसने 880,000 टन मकई, 680,000 टन सोरघम और 140,000 टन चीनी का आयात किया है.

इस साल जुलाई में चीन की खाद्य मुद्रास्फीति 13.2 प्रतिशत बढ़ी है. एक आम चीनी द्वारा आमतौर पर उपभोग किए जाने वाले अधिकांश खाद्य उत्पादों की कम हुई है. इनमें अनाज से लेकर मीट तक शामिल है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने खुलासा किया है कि सबसे अधिक खपत वाले मांस, पोर्क की कीमतों में 86 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. चीन दुनिया भर से खाद्य उत्पादों के आयात का सहारा ले रहा है. हालत यह है कि चीन को लगभग सभी प्रमुख खाद्य पदार्थों का आयात करना पड़ रहा है.

इन दिनों चीन बड़े खाद्य संकट के दौर से गुजर रहा है. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक बीते कुछ वर्षों में चीन लगातार दुनिया भर के कई देशों के साथ किए गए खाद्यान्न सौदों को रद्द कर रहा है.

अधिकांश सौदों में बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों का आदान-प्रदान शामिल है. चीन ने बाकायदा इन सौदों के लिए एग्रीमेंट किये थे लेकिन अब चीन इन सौदों को रद्द कर रहा है.

इससे माना जा रहा है कि चीन एक बड़े खाद्य संकट से गुजर रहा है. वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बॉर्डर पर तनाव के जरिए लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं.