देश में पैदा हो सकता है बिजली का संकट , नहीं बचा कोयला

त्योहारों के सीजन में देश में बिजली किल्लत होने का खतरा मंडरा रहा है. कोयल की भारी कमी की वजह से थर्मल पावर प्लांटों से बिजली उत्पादन बंद होने की स्थिति पैदा हो गई है.

 

सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि आखिर अचानक किस कारण से देश में कोयला संकट पैदा गया, जिसका असर बिजली उत्पादन पर पड़ने लगा है? कहा यह जाने लगा है कि भारत में भी कहीं चीन की तरह कोयले का संकट पैदा न हो जाए, जिसके चलते आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है.

मानसून सीजन में कोयले उत्पादित बिजली की खपत अचानक बढ़ गई, जिसके चलते देश के थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी आ गई. हालांकि, मानसून शुरू होने के पहले थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक जमा नहीं किया गया है.

बताया यह जा रहा है कि कोरोना संक्रमण में कमी आने के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार आते ही बिजली की मांग में बढ़ोतरी हो गई. इस बीच, सितंबर महीने के दौरान भारी बारिश के चलते कोयला खदानों से उत्पादन में खासी कमी दर्ज की गई. इसके साथ ही, दूसरे देश से आयातित कोयले की कीमत में बढ़ोतरी हो गई, जिससे कोयले के आयात को कम कर दिया गया.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के केवल 33 फीसदी रह जाएगा. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश के कुल 135 थर्मल पावर प्लांटों में से करीब 72 प्लांट के पास केवल तीन दिन के बिजली उत्पादन का ही कोयले का स्टॉक बचा हुआ है. वहीं, 4 थर्मल प्लांटों के पास 10 दिन और करीब 13 थर्मल पावर प्लांटों के पास 10 दिन से अधिक समय तक का कोयला बचा हुआ है.