जन्मकुंडली में शनि की दशा हनुमानजी का ये उपाय दिलाएगा समस्त दोषों से मुक्ति

हनुमानजी को कलियुग का जागृत देवता माना गया है। उनका भक्त उन्हें किसी भी समय याद करें, वे तुरंत सहायता करने के लिए प्रकट हो जाते हैं। यदि आप अपने जीवन में किसी अन्य देवता की आराधना न कर केवल हनुमानजी की ही पूजा करें तो भी आप अपने जीवन में सब कुछ पा सकते हैं। जानिए ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में

कई बार घर में बिना वजह कलह और क्लेश रहने लगता है। आपसी गलतफहमियों और अन्य कारणों के चलते घर की शांति भंग हो जाती है। ऐसी स्थिति में हनुमानजी की शरण  लेना सर्वोत्तम है। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर भगवान को सिंदूर और चमेली के तेल का चोला चढ़ाएं। उन्हें लाल पुष्प चढ़ाएं तथा भोग के रूप में गुड़ और चना अर्पित कर हनुमानचालिसा का पाठ करें। इस प्रकार करने से 21 दिन के अंदर ही घर के समस्त संकट दूर हो जाते हैं।

कई बार भक्तों को गठिया, वात रोग, सिरदर्द, कंठ रोग आदि बीमारियां हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में उसे एक जल का पात्र सामने रख कर हनुमानबाहुक का पाठ करना चाहिए। इस जल को अब 24 घंटे के लिए रख दें और अगले दिन पी लें तथा उस पात्र में फिर से जल भरकर हनुमानबाहुक का पाठ करें। इस तरह लगातार 21 दिनों तक करने से इन बीमारियों से पीछा छूट जाता है।

कई बार बिना वजह ही जेल जाने की स्थिति बन जाती हैं। ऐसी अवस्था में भक्तों को नियमित रूप से प्रतिदिन सुबह 11 बार हनुमानचालिसा का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव से कारागार जाने का संकट दूर हो जाता है। व्यक्ति यदि किसी बंधन में पड़ा हुआ है तो उससे भी मुक्त हो जाता है।

घर में भूत-प्रेत, अंधेरे या अन्य कारणों से डर लगता है तो भी हनुमानजी का उपाय करना चाहिए। इसके लिए रात को सोते समय मुंह और हाथ-पैर धोकर ‘हं हनुमंते नमः’ का 108 बार जप करें और फिर पूर्व दिशा में मुंह करके सो जाएं। इस एक उपाय से ही समस्त तरह के डर दूर हो जाते हैं।

जन्मकुंडली में शनि की दशा आने पर व्यक्ति को भयंकर कष्ट भोगने पड़ते हैं। इस अवस्था में हनुमानजी की शरण में जाना श्रेयस्कर है। हनुमानजी का नाम स्मरण करने मात्र से ही शनि के दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। शनि की दशा लगने पर प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को बजरंग बली के मंदिर में जाकर हनुमानचालिसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही इन दो दिन अंडा, मांस, मंदिरा आदि से दूर रहना चाहिए। इस उपाय से शनि के समस्त दोषों का निवारण होता है।