बिहार सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अपनाया ये अनोखा तरीका

बिहार में नीतीश सरकार ने कोरोना वायरस को राज्य में महामारी घोषित कर दिया है. बिहार सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने, जांच और इलाज में सहयोग नहीं करने वालों पर सामाजिक हित में कानूनी कार्रवाई करने तथा इसके लिए प्रशासन को व्यापक अधिकार देने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की अनुशंसा पर राज्य में ‘एपिडेमिक डिजीज, कोविड-19, नियमावली 2020’ को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है.

स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले दिनों के रिकॉर्ड से यह पता चले कि संबंधित व्यक्ति ने 29 फरवरी, 2020 के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित देश की यात्रा की है या वैसे देश से यहां आए हैं और उनमें संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें तय मानकों के अनुरूप अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा. इससे संबंधित सभी सूचनाएं जिले के सिविल सर्जन को दी जाएंगी.

इस नियमावली के तहत जिलाधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी गांव, प्रखंड, नगर, वार्ड, कॉलोनी या किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में किसी व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की सूचना मिले तो वह तत्काल कार्रवाई कर सकते हैं. वे उन क्षेत्रों में स्थित स्कूल, कार्यालय को बंद कर सकते हैं और भीड़ के एकत्र होने पर रोक लगा सकते हैं.

जिलाधिकारी संबंधित क्षेत्र में वाहनों के परिचालन पर भी रोक लगा सकते हैं. सभी संदिग्ध मरीजों को अस्पताल में आइसोलेशन के लिए भर्ती किया जा सकता है. उन इलाकों में किसी भी सरकारी विभाग के कर्मी को ड्यूटी में राहत दी जा सकती है.

बिहार में कोरोना वायरस को लेकर गलत नीयत से इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति, संस्थान या संगठन पर कार्रवाई की जा सकती है. इसलिए, नियमावली में लोगों को सलाह दी गई है कि वे ऐसे किसी कार्य में शामिल न हों अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.