सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से सहमत नहीं है ज़फरयाब जिलानी रिव्यू पिटीशन पर करेंगे विचार

अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद मुसलमान पक्ष के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने असंतोष जाहिर किया है.उन्होंने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम संतुष्ट नहीं हैं. हम देखेंगे कि आगे इस पर क्या किया जा सकता है.

फ़ैसले के बाद उन्होंने प्रेस क्रॉन्फ्रेंस की. जिलानी ने कहा, “फ़ैसला पढ़ते समय सीजेआई ने सेक्युलरिज़म और 1991 के एक्ट ऑफ़ वर्शिप का ज़िक्र किया. उन्होंने ये तो माना कि टाइटल सूट नंबर चार और पांच के हक को मानते हैं लेकिन उन्होंने सारी ज़मीन टाइटल सूट नंबर पांच (हिंदू पक्ष) को दे दी.”

“उन्होंने आर्टिकल 142 के तहत ये फ़ैसला दिया. मेरा कहना ये है कि अगर मस्जिद नहीं गिराई गई होती तो कोर्ट क्या फ़ैसला देता?”

पांच एकड़ ज़मीन की ख़ैरात नहीं चाहिए: ओवैसी

ओवैसी ने शीर्ष अदालत की ओर से मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन दिए जाने के फ़ैसले पर भी असहमति जताई.

ओवैसी की कही और अहम बातें

  • हम अपने क़ानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे थे. मुसलमान ग़रीब है और भेदभाव भी उसके साथ हुआ है. लेकिन इन तमाम मजबूरियों के बावजूद मुसलमान इतना गया गुज़रा नहीं है कि वो अपने अल्लाह के घर के लिए पांच एकड़ ज़मीन न ख़रीद सके. हमें किसी को ख़ैरात या भीख की ज़रूरत नहीं है.
  • देखना होगा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पांच एकड़ ज़मीन को क़बूल करेंगे या नहीं, मेरी निजी राय ये है कि हमें इस प्रस्ताव को ख़ारिज़ करना चाहिए.
  • मुल्क अब हिंदू राष्ट्र के रास्ते पर जा रहा है. संघ परिवार और बीजेपी अयोध्या में इसे इस्तेमाल करेगी.
  • वहां शरीयत के ऐतबार से मस्जिद थी, है और रहेगी. हम अपनी नस्लों को ये बताते जाएंगे कि यहां 500 साल तक मस्जिद थी. लेकिन 1992 में संघ परिवार ने और कांग्रेस की साज़िश की वजह से उस मस्जिद को शहीद किया गया.

रिव्यू पिटीशन पर विचार कर सकते हैं ज़फरयाब जिलानी

सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने भी इससे पहले फ़ैसले पर असंतोष जताया.

उन्होंने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम संतुष्ट नहीं हैं. हम देखेंगे कि आगे इस पर क्या किया जा सकता है.