कोरोना वायरस ने दुनियाभर में महामारी फैला रखी है. आपको बता दें कि महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से मजदूर लंबे वक्त से फंसे हुए थे. अब जब करीब एक महीने बाद उन्हें घर जाने की इजाजत मिली, तो केंद्र सरकार ने रेल किराये का सारा खर्च मजदूरों से वसूलने का फैसला लिया.
लेकिन इस दौरान मजदूरों के किराये का वहन राज्य सरकार उठाएगी, जो कि मजदूरों से ही लिया जाएगा. रेल मंत्रालय के इस फैसले की काफी आलोचना की गई है, ना सिर्फ राजनीतिक दल और राज्य सरकारों ने इसका विरोध किया है बल्कि सोशल मीडिया पर भी इसकी आलोचना हुई है.
वहीं कांग्रेस पार्टी के तरफ से जारी किए गए सोमवार को एक बयान में कहा गया है कि सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लागू होने की वजह से देश के मजदूर अपने घर वापस जाने से वंचित रह गए. 1947 के बाद देश ने पहली बार इस तरह का मंजर देखा जब लाखों मजदूर पैदल ही हजारों किमी. चलकर घर जा रहे हैं.