शारदीय नवरात्रि : जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लीजिए और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं और कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं.

 

अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिला लीजिए. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डाल ​लीजिए. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं.

अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दीजिए. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दीजिए. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें.

जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्पब लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योोति भी जला सकते हैं.

जानिए कलश स्था‍पना का शुभ मुहूर्त कलश स्था‍पना की तिथि: 17 अक्टूबर 2020 कलश स्था‍पना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 10 बजकर 12 मिनट तक. -कुल अवधि: 3 घंटे 49 मिनट

शनिवार से शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रहे हैं, यह नौ दिन बेहद पवित्र माने जाते है. इस दौरान लोग देवी के 9 रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक है.

26 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा पर्व मनाया जाएगा. नवरात्र से जुड़े कई रीति-रिवाजों के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्र की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है.