जून माह में अपाचे हेलीकॉप्टर्स की आखिरी खेप भारत पहुंची थी और इसमें पांच हेलीकॉप्टर्स हैं। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के बाद भी अपाचे बनाने वाली कंपनी बोइंग को अनिवार्य क्वारंटाइन नियमों से छूट दे दी थी।
टीम ने इसके बाद हेलीकॉप्टर्स को असेंबल कर भारत भेजा और पठानकोट से हेलीकॉप्टर्स फ्लाइट टेस्टिंग के बाद लद्दाख पहुंचे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सेना टकराव के दौरान सबसे बुरे दौरे के लिए भी तैयार रहना चाहती थी और वह तैयार थी।
भारत ने पिछले वर्ष 22 में से 17 AH-64 अपाचे हेलीकॉप्टर्स को इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) में शामिल किया है। ये हेलीकॉप्टर्स 128 टारगेट्स को ट्रैक कर सकते हैं और 16 टारगेट्स और खतरों को देखते हुए उन्हें निशाना बनाने में सक्षम हैं। मार्च में बाकी बचे पांच हेलीकॉप्टर्स को भारत आना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते हेलीकॉप्टर्स भारत नहीं पहुंच पाए
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी टकराव के दो माह यानी 60 दिन पूरे होने के बाद सोमवार को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर गलवान घाटी समेत कुछ और हिस्सों से पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
चीन समझ गया था कि भारत इस बार आक्रामक मूड में है और उसकी तैयारियों से भी चीन को इस तरह का इशारा मिल चुका था। भारत ने पूर्वी लद्दाख में अमेरिकी अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे के बेड़े को भी तैनात कर दिया था। भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में पांच मई आमने-सामने थीं।