उत्तराखंड में प्रमोशन की प्रक्रिया पर लगी रोक, कर्मचारी और शिक्षकों के हुए प्रभावित

राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी विभागों, शिक्षण संस्थाओं, सार्वजनिक निगम और स्वायत्तशासी संस्थाओं में अग्रिम आदेश तक प्रमोशन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इससे प्रदेशभर के हजारों अफसर, कर्मचारी और शिक्षकों के हित प्रभावित होंगे। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बुधवार को इस संबंध में आदेश कर दिए।

इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। सामान्य संवर्ग और एससी-एसटी कर्मचारी में पदोन्नति में आरक्षण के लेकर चल रहे विवाद के बीच सरकार ने यह कदम उठाया है। सामान्य वर्ग के कर्मचारी-शिक्षकों के लिए यह आदेश बड़ा झटका माना जा रहा है। मुख्य सचिव ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्षों को आदेश की प्रतियां भेज दी हैं। आदेश में कहा गया है कि जब तक हाईकोर्ट में दायर याचिका पर कोई फैसला नहीं आता है, तब तक वर्ष 2012 के आधार पर कोई डीपीसी नहीं की जाएगी।

क्या था मामला
एम.नागराजा मामले वर्ष 2012 में सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इसके बाद पांच सितंबर से प्रदेश में वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन हो रहे थे। एससी-एसटी कर्मचारियों ने इस आदेश को चुनौती दी थी। ज्ञानचंद बनाम उत्तराखंड सरकार मामले में हाईकोर्ट ने एक अप्रैल, 19 को उक्त आदेश को निरस्त कर दिया था, लेकिन इसके बाद सरकार ने रिव्यू पिटीशन दायर कर दी। अभी यह हाईकोर्ट में विचाराधीन है।

इन विभागों में प्रमोशन के लिफाफे बंद
राज्य के विभिन्न विभागों में प्रमोशन के लिफाफे सीलबंद हैं। इनमें शिक्षा, ग्राम्य विकास, राजस्व, लोक निर्माण विभाग, सचिवालय, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी,) स्वास्थ्य आदि शामिल हैं। इन विभागों के कर्मचारी प्रमोशन का सपना पाले थे, लेकिन फिलहाल उनकी उम्मीदें धराशाई हो गई हैं।

प्रमोशन न मिलने के क्या होंगे नुकसान
वक्त पर प्रमोशन न मिलने से बड़ी तादाद में अफसर-कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। इससे उन्हें वरिष्ठता का लाभ भी समय पर नहीं मिलेगा और अगले संवर्ग में प्रमोशन के रास्ते कम हो जाएंगे। अलबत्ता, इस आदेश से सरकार को राहत मिलेगी और सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।