रेड्डी दिया आश्वासन, भारत सरकार FATF मानकों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने आतंकवाद की फंडिंग में क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को लेकर दुनिया को सावधान किया है. ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर ‘नो मनी फॉर टेरर’ कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन रेड्डी ने इस मुद्दे पर भारत का नजरिया पेश किया.

मेलबर्न में इस कॉन्फ्रेंस का गुरुवार को आगाज हुआ था. ‘उभरती तकनीकें और आतंकवाद को फंडिंग के खतरे’ विषय पर कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन गोलमेज वार्ता का आयोजन किया गया.

साइबर गतिविधियों का हवाला

इस मौके पर गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने फलाह-ए-इनसानियत फाउंडेशन की साइबर गतिविधियों का हवाला दिया. रेड्डी ने कहा कि ‘संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित होने के बावजूद ये फाउंडेशन साइबर दुनिया में सक्रिय है.

रेड्डी ने कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले डेलिगेट्स को आश्वासन दिया कि भारत सरकार FATF ( फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) मानकों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. रेड्डी ने साथ ही जोड़ा कि भारत आतंकवाद को फंडिंग करने वाले नेटवर्क्स की कमर तोड़ने के लिए AML (एंटी मनी लॉन्ड्रिंग) और CFT (कॉम्बेटिंग द फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज्म) व्यवस्था को लेकर पूरी तरह गंभीर है.

ब्लॉक-चेन आधारित क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल

ब्लॉक-चेन आधारित क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को लेकर भारतीय संदर्भ में रेड्डी ने जोर देकर कहा, ‘आभासी संपत्तियां, विशेष तौर पर क्रिप्टो-करेंसीज अपराधियों को कुछ खास किस्म के फायदे देती हैं. ये क्रिप्टो-करेंसीज़ के छद्म नामों की प्रवृत्ति, एनक्रिप्शन, दुनिया में पहुंच और कम लागत की वजह से है.’

आतंकियों की ओर से साइबर दुनिया का इस्तेमाल किए जाने को लेकर भारत के अनुभवों को साझा करते हुए रेड्डी ने खुलासा किया, ‘जांच से सामने आया कि आतंकी संगठन ISIS ने एनक्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया, साथ ही आतंकवादियों की भर्ती और कट्टरवाद को फैलाने में डार्क वेब का सहारा लिया. ISIS ने इसी माध्यम से अपने आतंकियों को फंड जुटाने, हथियार खरीदने और हमलों को अंजाम देने के लिए गाइड किया.’