आरबीआई की ओर मौद्रिक नीति पर चल रही तीन दिवसीय बैठक का आज आखिरी दिन था, जिसके तहत एक्सपर्ट यह उम्मीद लगा रहे थे कि RBI कर्ज की दरों को महंगा कर सकता है। लेकिन आपको बता दें कि क्रेडिट पॉलिसी पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। यानी की रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर स्थिर है।
जब भी आरबीआई की दरें स्थिर होती हैं तो रुपये का स्तर डॉलर के मुकाबले काफी ज्यादा गिर जाता है और यह तभी देखने को मिल गया जैसे ही भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट की दर को स्थिर रखने की घोषणा की। आपको बता दें कि रुपया डॉलर के मुकाबले 74 के स्तर तक गिर गया है।
इससे पहले लगातार 2 मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की गई थी। कच्चे तेल में तेजी और डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट के कारण महंगाई बढ़ने की आशंको को देखते हुए एक्सपर्ट को भरोसा था कि मॉनिटरी पॉलिसी समीक्षा में नीतिगत दरों को बढ़ाया जा सकता है।
रिजर्व बैंक ने ग्रोथ को लेकर चिंता जताई है और अपने रुख में बदलाव किया है। RBI ने वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ लक्ष्य 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। आरबीआई के अनुसार जुलाई-सितंबर में महंगाई दर 4 प्रतिशत और अक्टूबर-मार्च में 3.9-4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अप्रैल-जून 2019 में महंगाई दर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। तो वहीं वित्त वर्ष 2019 में वित्तीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी शोध रिर्पोट इकोरैप में कहा था कि रिजर्व बैंक को रुपए की गिरावट थामने के लिए ब्याज दर में कम से कम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करनी चाहिए। तो वहीं मॉर्गन स्टेनली ने कहा था कि उसे अक्टूबर की समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक द्वारा अल्पावधि ब्याज दर बढ़ाने की उम्मीद है। अंतत: आरबीआई ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है।