किसानों आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत ने किया ये बड़ा ऐलान , कहा – 22 जुलाई को करेंगे…

बातचीत से पहले ही सरकार ने साफ कर दिया है कि कृषि कानून को खत्म नहीं किया जाएगा, उसमें बदलाव किया जा सकता है। इसके जवाब में किसान संगठनों और राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार बात करना चाहती तो करे लेकिन वो बातचीत के लिए किसी तरह की कोई शर्त न रखे।

बता दें कि करीब एक साल से नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच लगातार गतिरोध जारी है। अबतक दोनों पक्षों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। सरकार के अपने तर्क हैं तो किसानों की अलग दलील है। एसे में किसानों की बात मानी जाएगी या सरकार कानून को जारी रखेगी ये तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा।

इसके साथ ही, राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने ये नहीं कहा था कि कृषि क़ानूनों को लेकर यूएन (संयुक्त राष्ट्र) जाएंगे। उन्होंने कहा था कि 26 जनवरी के घटना की निष्पक्ष जांच हो जाए। अगर यहां की एजेंसी जांच नहीं कर रही है तो क्या हम यूएन में जाएं?

इससे पहले गुरूवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील की थी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन खत्म कर वार्ता शुरू करें। वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री की अपील पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि बातचीत शुरू करने की बात करना ठीक है, लेकिन वार्ता के लिए शर्त नहीं लगाई जानी चाहिए।

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ करीब एक साल से जारी किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत ने 22 जुलाई से संसद के मानसून सत्र के दौरान धरने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार बातचीत करना चाहती है, तो हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई से संसद सत्र शुरू हो रहा है, उसी दिन से 200 किसान संसद के पास धरना देंगे।