राजाजी टाइगर रिजर्व में बढ़ने वाला है बाघों का कुनबा, वन विभाग को मिली ये जानकारी

राजाजी टाइगर रिजर्व (राजाजी नेशनल पार्क) में बाघों का कुनबा बढ़ने वाला है। करीब एक साल पहले कॉर्बेट नेशनल पार्क से लाई गई बाघिन अगले महीने शावकों को जन्म दे सकती है। बाघों के संरक्षण के लिए यह अच्छा संकेत माना जा रहा है।

राजाजी नेशनल पार्क के ईस्टर्न पार्ट में 2004 में दो बाघिनों को कैमरा ट्रैप में देखा गया। 2020 में एक बाघिन अचानक लापता हो गई। राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए उत्तराखंड में पहली बार टाइगर ट्रांसलोकेशन किया गया। पहले दिसंबर 2020 में एक बाघ और फिर जनवरी 2021 में बाघिन को कॉर्बेट नेशनल पार्क से मोतीचूर रेंज में छोड़ा गया। ट्रांसलोकेशन के बाद बाघों के इस जोड़े की मूवमेंट कम दिखी। आशंका जताई गई कि नए वातावरण में यह पूरी तरह से एडजस्ट नहीं हो पा रहे हैं।

हाल ही में निगरानी और कैमरा ट्रैक में बाघिन के प्रेग्नेंट होने की जानकारी वन विभाग को मिली है। इसे लेकर विभाग उत्साहित है। क्योंकि यह उत्तराखंड में पहली बार किए गए टाइगर ट्रांसलोकेशन के सफल होने का संकेत होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बाघिन मार्च में शावकों को जन्म दे सकती है।

इसे लेकर विभाग लगातार उसकी निगरानी कर रहा है, ताकि उसकी और उसके शावकों की पूरी सुरक्षा की जा सके। उत्तराखंड के इतिहास में भी यह पहली बार होगा, जब इस तरह से ट्रांसलोकेशन के जरिए जंगल में बाघों का कुनबा बढ़ाने में विभाग सफल रहेगा।

पिछले करीब डेढ़ साल से लापता चल रही बाघिन का अब तक पता नहीं चल पाया है। अचानक गायब होने के बाद इसके शिकार और अन्य तरह की आशंकाएं जताई जा रही थीं, लेकिन अब तक वन विभाग उस बाघिन का पता नहीं लगा पाया है, ना ही किसी कैमरा ट्रैप या गश्त में उसको देखा गया है। इसे लेकर विभाग चिंतित है।

अब तक की निगरानी और तस्वीरों में बाघिन के प्रेग्नेंट होने की जानकारी सामने आ रही है। इसे विभागीय स्तर और विशेषज्ञों के जरिए री-कंफर्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि ट्रांसलोकेशन सफल होगा और राजाजी में जल्द बाघों का कुनबा बढ़ना शुरू होगा।