प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीवी साक्षात्कार को लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए सवाल किया कि क्या जनता को उसके सवालों को जवाब मिल गया है? आर्टिक्ल में लिखा है, पीएम नरेंद्र मोदी ने एक ही टीवी चैनल को एक जोरदार इंटरव्यू दिया है। इंटरव्यू गिनकर 95 मिनट का था, ऐसा बोला जा रहा है। पीएम का इंटरव्यू लंबे अंतराल के बाद आने से ‘चर्चा तो होगी ही’। उसी तरह चर्चा जारी है। पीएम मोदी एक पत्रकार सम्मेलन करें व सवालों के जवाब दें, ऐसी मांग थी।
लेख में आगे लिखा है, पीएम मोदी ने एक ही टीवी चैनल को इंटरव्यू देकर उसे प्रसारित किया। पीएम ने जनता के मन के सवालों का जवाब दिया है, ऐसा प्रचार प्रारम्भ हो गया है। वो गलत है। राम मंदिर, नोटबंदी, शीघ्र होनेवाले आम चुनाव आदि विषयों पर वे बोले लेकिन जनता के मन के सवालों का उत्तर मिला क्या?
शिवसेना का कहना है कि इन दिनों राम मंदिर का मुद्दा चर्चा में है। ऐसी उम्मीद थी कि मंदिर के बारे में मोदी कोई जरूरी घोषणा करेंगे व अयोध्या में प्रभु श्रीराम का वनवास समाप्तकराएंगे, मगर मोदी ने बिल्कुल खिलाफ नीति अपनाई है। राम मंदिर के लिए अध्यादेश निकालो, ऐसी मांग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद सहित शिवसेना ने की थी। मोदी ने इसे साफ ठुकरा दिया है। मोदी ने कहा, कुछ भी हो जाए मगर अध्यादेश नहीं लाऊंगा। राम मंदिर का मुद्दा सुप्रीम न्यायालय में है। सुप्रीम न्यायालय द्वारा फैसला देने के बाद ही अध्यादेश पर विचार किया जाएगा। मोदी ने यह बात स्पष्ट कर दी, यह अच्छा हुआ व पिछले 4-5 सालों में पहली बार वे हकीकत बोले हैं। राम मंदिर उनके लिए प्राथमिकता का विषय नहीं।
लेख में आगे लिखा है, ‘ पीएम को अन्य कई विषयों को उन्हें आगे लेकर जाना है। राम के नाम पर सत्ता मिली व कानून का राज उनके हाथ आया फिर भी राम जी कानून से बड़े नहीं हैं, ऐसा उन्होंने कहा। सवाल ये है कि मोदी के बहुमतवाले राज में राम मंदिर नहीं बनेगा तो कब बनेगा? अयोध्या का मुद्दा सुप्रीम न्यायालय में है व वह कांग्रेस पार्टी शासन से है। जो नतीजा आएगा उसे कांग्रेस पार्टी सहित सभी को स्वीकार करना पड़ेगा। इसलिए अदालती फैसला का श्रेय लेने की प्रयास किसी को नहीं करनी चाहिए। राम मंदिर की सुनवाई इसी माह प्रारम्भ होगी। मगर मामला 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण करने तथा उसके लिए अध्यादेश लाने का है। मोदी इसके लिए तैयार नहीं।
भाजपा व संघ परिवार को राष्ट्र से माफी मांगनी पड़ेगी
मोदी ने गुजरात में सरदार पटेल की विशाल व वैश्विक ऊंचाईवाली प्रतिमा खड़ी की है लेकिन मंदिर के मामले पर उन्होंने सरदार वाली हिम्मत नहीं दिखाई। यह इतिहास के पन्नों पर दर्ज होगा। राम मंदिर का बाद में देखेंगे, पहले चुनाव लड़ेंगे, ऐसी उनकी रणनीति दिखाई देती है। इस पर बीजेपी के राम भक्त तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद का क्या कहना है? 2019 के पहले राम मंदिर नहीं बनने वाला होगा तो यह राष्ट्र के साथ विश्वासघात होगा व उसके लिए बीजेपी को, संघ परिवार को राष्ट्र से माफी मांगनी पड़ेगी।
1991-92 में राम मंदिर का आंदोलन प्रारम्भ हुआ। उसमें सैकड़ों कारसेवक मारे गए। फिर यह हिंदू नरसंहार किसने किसके लिए कराया? राम मंदिर के आंदोलन में सैकड़ों हिंदू कारसेवक तो मारे गए, साथ ही मुंबई सहित राष्ट्र में अन्य स्थानों पर दंगे हुए व उसमें भी दोनों तरफ से बहुत बड़ा नरसंहार हुआ। ऊपर से इसका बदला लेने के लिए मुंबई में बम विस्फोट की शृंखला कराकर सैकड़ों लोगों की जानें ली गई। न्यायालयीन प्रक्रिया से राम मंदिर का फैसला लेना था तो फिर यह रक्तपात व नरसंहार किसलिए कराया गया? इसकी जिम्मेदारी बीजेपी या संघ परिवार अब लेनेवाला है क्या? सिख हत्याकांड के लिए जिस तरह कांग्रेस पार्टी को माफी मांगनी पड़ी, उसी तरह हिंदू नरसंहार के लिए माफी मांगो, ऐसा कोई कहे तो उसकी भी भावनाओं को समझना होगा। राम मंदिर सिर्फ चुनावी जुमला था व अगले चुनाव में भी वो वैसा ही रहेगा, ये अब तय हो गया है। मोदी ने यही सत्य बोला है इसलिए संभ्रम दूर हो गया। नोटबंदी का मुद्दा मोदी ने लिया।
नोटबंदी झटका नहीं, बल्कि फांसी का खटका था
शिवसेना ने अपने आर्टिक्ल के जरिए बोला है कि नोटबंदी झटका नहीं था। एक साल पहले ही जनता को सावधान किया था, ऐसा मोदी ने कहा। अब यह जनता कौन? बैंक की कतार में खड़ी रही व रोजगार गंवाने के कारण जो तड़पकर मरे वो जनता नहीं थी क्या? अमीरों का ब्लैक मनी सरलता से सफेद हो गया व मोदी गवर्नमेंट के हाथ में कुछ नहीं आया। विदेश का ब्लैक मनी राष्ट्र में लाना व उसमें से 15 लाख रुपए जनता के बैंक खातों में जमा करने का वादा था। साहब! उसका क्या हुआ? हकीकत तो यह है कि नोटबंदी झटका नहीं था बल्कि जनता के लिए फांसी का खटका था।
हमेशा के भाषणों के समान था पीएम का इंटरव्यू
पाक के बारे में पीएम महोदय ने गोल-मोल जवाब दिया। एक सर्जिकल स्ट्राइक से पाक नहीं सुधरने वाला है, ये पता होने के बावजूद जनता ने मोदी को पीएम बनाया। राम मंदिर तथा पाक इन दो प्रमुख मुद्दों के कारण बीजेपी विजयी हुई व मोदी पीएम बने पर जनता के हाथ में मुंगरी आई। ‘अगला चुनाव जनता बनाम महाआघाड़ी’ ऐसा नारा मोदी ने दिया है। फिर 2014 में उन्हें पाक व ईरान की जनता ने मतदान किया था क्या? तथा 5 राज्यों में बीजेपी को पराजित करनेवाला मतदाता इस राष्ट्र की जनता नहीं थी क्या? पीएम मोदी के इंटरव्यूका तूफान, चाय की प्याली का तूफान साबित हुआ है। पीएम रक्षात्मक किरदार में दिखाई दिए व इंटरव्यू भी हमेशा के भाषणों के समान ही था। 2019 की चिंता उनके चेहरे पर तथा उनकी भाव-भंगिमाओं से स्पष्ट दिखाई दे रही थी। यही हकीकत है। इंटरव्यू जबरदस्त होगा, ऐसा लगा था। मगर वैसा नहीं हुआ। इंटरव्यू बजकर रह गया। पीएम का इंटरव्यू था, इतना तो बजेगा ही!