देशद्रोह मामले में परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा, SC ने किया इस मांग से इनकार

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट (Pakistan Supreme Court) रजिस्‍ट्रार कार्यालय ने देशद्रोह मामले में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को दी गई सजा के खिलाफ उनकी तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. मुशर्रफ ने अर्जी के जरिये विशेष अदालत के फैसले को रद्द करने की मांग की है, जिस पर रजिस्ट्रार कार्यालय की तरफ से आपत्तियां लगाई गई हैं.

रजिस्ट्रार कार्यालय का कहना है कि इस तरह के किसी भी कदम के लिए मुशर्रफ को पहले खुद सरेंडर करना होग. परवेज मुशर्रफ ने गुरुवार को लाहौर उच्च न्यायालय के फैसले को आधार बनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था, जिसमें उनके खिलाफ विशेष अदालत के फैसले को रद्द करने और खारिज करने की मांग की गई थी.

रजिस्ट्रार कार्यालय ने इस आधार पर अपील लौटा दी कि जबतक याचिकाकर्ता आत्मसमर्पण नहीं कर देता, उसकी याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा. मुशर्रफ के वकील अब जल्द ही याचिका लौटाने के रजिस्ट्रार के फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं.

मुशर्रफ ने इस्लामाबाद की विशेष अदालत द्वारा 17 दिसंबर 2019 को दिए गए फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. विशेष अदालत ने देशद्रोह मामले में मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई थी.

बैरिस्टर सलमान सफदर द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि मामले की सुनवाई संविधान का उल्लंघन करते हुए हुई थी, इसलिए इस फैसले को रद्द कर दिया जाना चाहिए.

अपील में सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट से मामले की बहस को सुनने का अधिकार मांगा गया है, इसके अलावा न्याय और निष्पक्षता के हित में फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई.

दिसंबर में विशेष अदालत का यह फैसला पाकिस्तान के इतिहास का पहला फैसला था, जिसमें किसी पूर्व सैन्य प्रमुख को देशद्रोह के मामले में दोषी करार देकर मौत की सजा सुनाई गई हो.

मामले की सुनवाई शुरू होने के छह साल बाद मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई गई. 3 नवंबर, 2007 में संविधान रद्द कर पूर्व राष्ट्रपति ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था, जिसपर पाकिस्तान मुस्लिम लीग – नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने मामला दर्ज किया था. पूर्व सैन्य प्रमुख फिलहाल दुबई में हैं. पिछले महीने तबियत बिगड़ने के बाद से वे अस्पताल में भर्ती हैं.