भारत में आई कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक बीमारी, जानकर लोग हुए परेशान

कावासाकी बीमारी में खून की नसें सूज जाती हैं. उनमें जलन होने लगती है. इसकी वजह से शरीर में कई प्रकार के खतरनाक लक्षण दिखाई देते हैं. अभी तक ये नहीं पता चल पाया है कि आखिर ऐसे हो क्यों रहा है. इस बीमारी का कोरोनावायरस से क्या संबंध है. लेकिन कोरोना पीड़ित बच्चों में ये बीमारी हो रही है.

 

यूरोप के नेशनल हेल्थ मिशन ने कहा है कि जिस बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई दें, उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाएं. जांच में बीमारी पुख्ता होने पर तुरंत इलाज कराएं. बीमारी को ठीक करने के लिए इंट्रावीनस इम्यूनोग्लोबुलिन एंटीबॉ़डी और एस्पिरिन ही दो दवाएं हैं. साथ में कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स दिए जाते हैं लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं.

क्योंकि इस बीमारी के दौरान बच्चों के बुखार को देख कर ऐसा लगता है कि उनकी नसों में खून नहीं आग बह रही हो. इसलिए डॉक्टर एस्पिरिन दवा का हल्का डोज, एंटीप्लेटलेट ड्रग जैसी दवाएं भी देते हैं.

MIS-C बहुत कुछ कावासाकी बीमारी जैसी है. इन दोनों के लक्षण भी मिलते जुलते हैं. ज्यादा बुरी हालत होने पर बच्चे टॉक्सिक शॉक और मैक्रोफेज एक्टीवेशन सिंड्रोम से भी जूझते हैं.

MIS-C का शुरुआती लक्षण होता है पेट में दर्द, डायरिया, उलटी, रक्तचाप में कमी. इसके अलावा आंखें लाल हो जाती हैं. गले और जबड़े के आसपास सूजन, दिल की मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करतीं, फटे होंठ, त्वचा पर लाल रंग के चकते या सूखे के निशान, जोड़ों में दर्द, हाथ-पैर की उंगलियों में सूजन भी दिख सकती है.

इस बीमारी को पीडियाट्रिक मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (Paediatric multisystem inflammatory syndrome – PMIS) या मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन (Multisystem Inflammatory Syndrome in Children – MIS-C) भी कहते हैं.

यह बीमारी खास तौर पर कोरोनावायरस से जूझ रहे बच्चों में होती है. इसके लक्षण भी बहुत कुछ कोविड-19 जैसे ही होते हैं. इस बीमारी में बच्चों के शरीर में बुखार रहता है. नसों और मांसपेशियों में सूजन आ जाती है. गंभीर स्थिति में अंग काम करना बंद कर देते हैं.

गुजरात के सूरत में एक बच्चा कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक बीमारी से परेशान हुआ. लेकिन एक हफ्ते की जद्दोजहद के बाद ठीक भी हो गया. इस बीमारी का नाम है मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (Multisystem Inflammatory Syndrome). सूरत में इस बीमारी से ग्रसित बच्चा भारत का पहला केस था.