1 फरवरी को मोदी सरकार जनता के सामने पेश करेगी ये, जल्द चुका ले पुराना कर्ज वरना…

बजट के दौरान इस शब्द का बार-बार जिक्र किया जाएगा। इन्फ्लेशन का मतलब महंगाई दर से है। इसे पर्सेंट में व्यक्त किया जाता है। महंगाई दर बढ़ने का आसान मतलब है कि करेंसी की वैल्यू गिर रही है जिससे खरीदने की क्षमता घट जाती है।

 

 

दिसंबर में यह रीटेल इन्फ्लेशन) पांच सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। खरीदने की क्षमता घटने का मतलब मांग में कमी आना।फिस्कल डेफिसिट में पूर्व में लिए गए कर्ज पर इंट्रेस्ट पेमेंट्स को घटाने पर प्राइमरी डेफिसिट आता है।

फिस्कल डेफिसिट में सरकार द्वारा लिया जाने वाला कर्ज और पुराने कर्ज पर चुकाने वाला इंट्रेस्ट शामिल होता है। प्राइमरी डेफिसिट में पुराने कर्ज पर चुकाने वाले इंट्रेस्ट को नहीं जोड़ा जाता है। भारत में फिस्कल डेफिसिट का बड़ा हिस्सा पुराने कर्ज पर चुकाए जाने वाला इंट्रेस्ट होता है।

सरकार किस तरह खर्च करेगी और टैक्स सिस्टम क्या होगा, यह उसका ब्लूप्रिंट होता है। सरकार फिस्कल पॉलिसी तैयार करती है और रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी तैयार करता है।

इस पॉलिसी के तहत सरकार महंगाई दर, बेरोजगारी दर और मौद्रिक नीति को लेकर फैसला करती है। इकनॉमिक हेल्थ के लिए इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

ट्रेड डेफिसिट कैड का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। ट्रेड डेफिसिट बढ़ने का मतलब एक देश ज्यादा खरीद रहा है और कम बेच रहा है। जब निर्यात के मुकाबले आयात बढ़ता है तो इसे ट्रेड डेफिसिट कहते हैं।सरकार का खर्च जब कमाई से बढ़ जाता है तो इसे फिस्कल डेफिसिट कहते हैं। इसमें सरकार द्वारा लिया जाने वाला कर्ज शामिल नहीं होता है।

सरकार पर कर्ज और फिस्कल डेफिसिट दो अलग-अलग शब्द हैं, जिसमें काफी अंतर है। फिस्कल डेफिसिट को पर्सेंट में (जीडीपी के मुकाबले) व्यक्त किया जाता है।

केंद्र सरकार (Union Minister) हर साल अपना बजट (Budget) पेश करती है, जिससे गरीब, किसान, मजदूर और हर किसी को आस होती है कि सरकार (Government) उनके लिए क्या घोषणा करेगी।

नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार 1 फरवरी को अपना आम बजट (Budget) पेश करने जा रही है। आर्थिक हालात के मद्देनजर निर्मला सीतारमण इस सरकार के लिए अब तक का सबसे चैलेंजिंग बजट पेश करेंगी।

विकास दर 11 सालों के न्यूनतम स्तर पर है, बेरोजगारी दर 4 दशकों के उच्चतम स्तर पर है, तमाम कोशिशों के बावजूद मांग में तेजी नहीं आ रही है।

सरकार की हर कोशिश का बोझ राजकोषीय खजाने पर बढ़ता जा रहा है। एक फरवरी को जब सदन में बजट पेश किया जाएगा तब कई सारे ऐसे शब्द आपके सामने आएंगे, जिनसे आप वाकिफ नहीं होंगे।

अगर आप इन शब्दों का मतलब जानते हैं तो आपके लिए यह समझना आसान होगा कि क्या चर्चा हो रही है, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के बारे जानकारी लेना जरूरी है।