अब इस देश की जमीन पर पड़ी चीन की नजर, पूरे इलाके को किया…

चीन यहां जानबूझ कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. बता दें कि साल 2007 की भारत-भूटान मैत्री संधि के मुताबिक दोनों देश राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ सहयोग कर सकते हैं.

भूटान के साथ भारत के हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने पहले विदेश दौरे के रूप में भूटान को ही चुना था. उस वक्त उन्होंने कहा था कि पड़ोसी देशों से मजबूत संबंध बनाए रखना उनकी प्राथमिकता होगी.

चीनी विदेश मंत्रालय ने भूटान के साथ सीमा विवाद पर एक बयान जारी किया है. इसके मुताबिक चीन-भूटान सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है और पूर्वी, मध्य और पश्चिमी हिस्से पर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है. साथ ही चीन ने कहा कि वो इस मसले पर किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं चाहता है. जाहिर है चीन का इशारा भारत की तरफ है.

पूर्वी सीमा पर नहीं है विवाद!रिकॉर्ड्स के मुताबिक चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए साल 1984 से 2016 के बीच 24 बार वार्ता हुई. भूटान की संसद में हुई चर्चा के मुताबिक ये बातचीत सिर्फ पश्चिमी और मध्य सीमा के विवादों पर हुई.

इस मुद्दे पर नजर रखने वाले एक शख्स ने कहा कि पूर्वी सीमा को कभी भी बातचीत में शामिल नहीं किया गया. चर्चा सिर्फ और सिर्फ मध्य और पश्चिमी सीमा तक सीमित है.

ऐसा लग रहा है किसी भी देश की सीमा में टांग अड़ाना चीन (China) की आदत बन गई है. भारत के साथ लद्दाख में ‘धोखेबाजी’ करने वाले चीन ने अब भूटान की सीमा (Bhutan Border) पर भी नज़रें गड़ा ली है.

चीन ने कहा है कि भूटान के साथ भी पूर्वी क्षेत्र में उसका सीमा विवाद है. चीन का दावा इसलिए अहम है कि इस इलाके की सीमा अरुणाचल प्रदेश से भी लगती है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर कई बार अपना दावा कर चुका है.