अब अफगानिस्‍तान में पाकिस्‍तान करना चाहता है ये काम , कर दिया ऐलान

तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार का गठन किया है जिसमें सभी पुरुष हैं। सीएनएन न्‍यूज 18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्‍तान तालिबानी सेना और गुप्‍तचर एजेंसी के बाद अब अफगान अर्थव्‍यवस्‍था पर कब्‍जा करना चाहता है। अगर ऐसा होता है तो सभी व्‍यापार और बिजनेस पाकिस्‍तान की कीमतों पर निर्भर हो जाएगा। तालिबान भी ड्रग्‍स को केवल पाकिस्‍तान को भेज पाएगा।

अभी कुछ दिन पहले आईएसआई चीफ हामिद फैज काबुल गए थे और माना जाता है कि उनके सख्‍त रुख के बाद सिराजुद्दीन हक्‍कानी जैसे आतंकी को गृह मंत्रालय जैसा अहम पद दिया गया।

सिराजुद्दीन हक्‍कानी पाकिस्‍तानी सेना का पालतू है और उसी के कहने पर अफगानिस्‍तान में भारतीय लोगों पर हमले हुए थे। इसके अलावा मुल्‍ला उमर के बेटे को रक्षामंत्री बनाया गया जिसके लश्‍कर-ए-तैयबा से करीबी संबंध हैं।

यही नहीं अफगानिस्‍तान की मुद्रा भी काफी पावरफुल थी। पाकिस्‍तान के इस कदम से अफगान व्‍यापारियों और उद्योगपतियों पर पाकिस्‍तान की पकड़ रहेगी।

अफगानिस्‍तान अभी तालिबान के कब्‍जे के बाद उबरने में लगा हुआ है और नई सरकार को किसी भी कीमत पर आर्थिक पतन से बचना होगा। अफगानिस्‍तान के बजट का 80 फीसदी हिस्‍सा अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से आता है। ऐसे में अगर तालिबान लंबे समय तक दुनिया से अलग-थलग रहा तो आर्थिक तबाही आ जाएगी।

अफगानिस्‍तान में अपने आंतकियों ती कठपुतली तालिबान सरकार बनाने वाला पाकिस्‍तान अब इस युद्धग्रस्‍त देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर भी कब्‍जा करने की फिरा में है।

गुरुवार को अफगानिस्‍तान के लिए आर्थिक पैकेजके साथ पाकिस्‍तान ने तालिबान सरकार के साथ अपनी पाकिस्‍तानी मुद्रा में व्‍यापार करने का ऐलान किया है। अब तक यह व्‍यापार अमेरिकी डॉलर में होता था।