अब कोर्ट मामले में रामलला के हक में डिक्री जारी, 15 बक्सों में भर कर आये दस्तावेज वापस भेजे जाएंगे हाईकोर्ट

अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुना दिया है। अब कोर्ट मामले में रामलला के हक में डिक्री जारी करेगा जिनकी मांग पूरी तरह मान ली गई है। इसके अलावा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या में कहीं और पांच एकड़ जमीन देने के लिए भी डिक्री जारी होगी। इसके अलावा इस मुकदमें की सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से 15 बक्सों में भर कर आये दस्तावेज वापस हाईकोर्ट भेजे जाएंगे।

फैसले के बाद की प्रक्रिया

अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है और अब आगे की प्रक्रियात्मक कार्यवाही होनी है। सुप्रीम कोर्ट जब फैसला सुनाता है तो उसके बाद क्या क्या होता है वह सारी प्रक्रिया इस मुकदमें में अभी पूरी होनी है। इस मुकदमें की सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से 15 बक्सों में भर कर आए दस्तावेज वापस हाईकोर्ट भेजे जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में जब कभी सिविल या आपराधिक मुकदमें में अपील पर सुनवाई पूरी हो जाती है तो जिस कोर्ट से संबंधित रिकार्ड सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट आता है फैसला होने के बाद उसे वापस वहीं भेज दिया जाता है। ऐसा ही इस मामले में होगा। सुनवाई के दौरान रोजाना कोर्ट में हाईकोर्ट से आए 15 बक्से कोर्ट रूम में लाए जाते थे। सुनवाई पूरी होने पर रिकार्ड वापस सुरक्षित कक्ष में रख दिया जाता था। ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट मे हर मुकदमें मे होता जो रिकार्ड सुनवाई के लिए आता है उसे सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किया जाता है और सुनवाई पूरी होने पर सुरक्षित कक्ष में रखा जाता है।

छुट्टियों में हुआ काम, छापा गया जजमेंट

शनिवार को फैसला सुनाए जाने के बाद ही जजमेंट की प्रतियां छपने का काम सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो गया था। सुप्रीम कोर्ट मे जजमेंट की प्रतियां तैयार करने का काम एडीटोरियल ब्रांच मे होता है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की एडीटोरियल ब्रांच में करीब 3.30 – 3.40 पर फैसले की मूल कापी पहुंची जिसे स्टाफ को प्रिंट करके प्रतियां बनानी थीं। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री और बाकी विभाग शनिवार को दोपहर एक बजे तक ही खुलते हैं उसके बाद छुट्टी हो जाती है, लेकिन इस फैसले के बाद एडीटोरियल विभाग के कर्मचारी छुट्टी पर नहीं गए और उन्होंने शनिवार, रविवार और सोमवार तीनों दिन छुट्टी होने के बावजूद काम किया और फैसले की प्रिंटिंग कर प्रतियां तैयार की। फैसले की करीब 68 प्रतियां तैयार की गई हैं जो विभिन्न पक्षकारों, संबंधित न्यायाधीशों और अन्य को भेजी जाएंगी। यह फैसला चूंकि 1045 पन्नों का था इसलिए इसकी इतनी बड़ी तादाद में प्रतियां तैयार करने और उसके सेट बनाने में रोजाना इस काम के लिए तय स्टाफ से ज्यादा स्टाफ ने काम किया। सोमवार को सभी प्रतियां तैयार हो चुकी थीं। अब बुधवार को कोर्ट खुलने के बाद प्रतियों को विभिन्न लोगों और न्यायाधीशों को भेजने का काम शुरु होगा।

मूल फैसला हमेशा के लिए रिकार्ड रुम में रहेगा सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट में मूल फैसले की प्रतियां तैयार होने के बाद मूल फैसला कोर्ट के रिकार्ड रूम में भेज दिया जाता है जहां हमेशा के लिए सुरक्षित रखा रहता है। सुप्रीम कोर्ट में दस्तावेज और फैसलों की मूल प्रतियां सुरक्षित रखने के लिए रिकार्ड रुम की भी कई ब्रांच हैं। हर प्रदेश का एक सेक्शन है। यह मुकदमा उत्तर प्रदेश का है ऐसे में इसका रिकार्ड उत्तर प्रदेश का रिकार्ड रखने वाली सेक्शन 11 ब्रांच को सुरक्षित रखने के लिए भेजा जाएगा।

रामलला के हक में जारी होगी डिक्री

किसी भी सिविल मुकदमें में अंतिम फैसला आने के बाद जो पक्षकार मुकदमा जीता होता है उसके हक में फैसले के क्रियान्वयन के लिए विधिवत डिक्री जारी की जाती है। इस मुकदमें में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला की मांग मानी है। कोर्ट ने रामलला की ओर से उस स्थान को जन्म स्थान घोषित करने और वहां बिना बाधा मंदिर बनाए जाने की मांग स्वीकार की है। ऐसे में कोर्ट से रामलला के हक में इस फैसले के अनुरूप डिक्री जारी होगी। सुप्रीम कोर्ट मे सेक्शन 13डी है जहां से डिक्री जारी होती है। इस मामले में अभी डिक्री जारी नहीं हुई है। कोर्ट खुलने के बाद डिक्री जारी होगी। चूंकि कोर्ट ने रामलला का मुकदमा स्वीकार किया है इसलिए एक डिक्री रामलला के हक में जारी होगी। इसके अलावा कोर्ट ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को भी अयोध्या में किसी जगह पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है इसलिए इस संबंध में एक डिक्री सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के हक मे भी जारी होगी। डिक्री में पक्षकारों के नाम लिखे होते हैं इसके अलावा फैसले का निष्कर्ष लिखा होता है।