अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, फिलीपींस की नौकाओं पर किया ऐसा…

फिलीपींस ने गुरुवार को चीनी तट रक्षक बलों  पर विवादित दक्षिण चीन सागर में अपनी नौकाओं पर पानी की बौछार करने का आरोप लगाया।

फिलीपींस ने गुरुवार को चीनी तट रक्षक बलों  पर विवादित दक्षिण चीन सागर में अपनी नौकाओं पर पानी की बौछार करने का आरोप लगाया।

रिपोर्ट के अनुसार ये नौकाएं फिलीपींस के सैन्य कर्मियों के लिए सप्लाई करने का काम कर रही थीं। इस हमले के बाद फिलीपींस की नौकाओं ने बीजिंग के जहाजों को पीछे हटने का आदेश दिया। वहीं फिलीपींस के विदेश मंत्री तियोदोरो लोक्सिन ने चीन की इस हरकत पर नाराजगी, निंदा और विरोध व्यक्त किया है।

फिलीपींस के रक्षा मंत्री तियोदोरो लोक्सिन ने कहा कि ये घटना मंगलवार को हुई, जब फिलीपींस की नौकाएं स्प्रैटली द्वीप समूह में सेकेंड थॉमस शोल की यात्रा पर थीं। लोक्सिन ने ट्विटर पर घटना की जानकारी देते हुए कहा कि सौभाग्य से इस घटना में किसी को चोट नहीं आई है, लेकिन हमारी नौकाओं की सप्लाई बाधित हुई है। उन्होंने कहा कि तीन चीनी जहाजों ने इस अवैध गतिविधि को अंजाम दिया।

फिलीपींस के रक्षा मंत्री तियोदोरो लोक्सिन ने कहा कि चीन के पास इन क्षेत्रों में और उसके आसपास कोई कानून प्रवर्तन अधिकार नहीं है।  उन्होंने कहा की चीन को नियमों का ध्यान रखना चाहिए और पीछे हटना चाहिए। लोक्सिन ने बीजिंग के आत्म-संयम में विफलता के कारण दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों के लिए खतरा की चेतावनी भी दी।

गौरतलब है कि अगस्त के महीने में चीन के उप राजदूत दाई बिंग ने एक बैठक में अमेरिका पर दक्षिण चीन सागर में शांति एवं स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बनने का आरोप लगाया था। वहीं उन्होंने फिलीपींस के पक्ष में दिए गए न्यायाधिकरण के फैसले को अवैध और गैर बाध्यकारी बताया था।

दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रों को लेकर चीन और अमेरिका के साथ-साथ कई देशों के बीच दशकों से विवाद है। यह विवाद समुद्री क्षेत्र पर अधिकार और संप्रभुता को लेकर है। इसमें पारासेल और स्प्रैटली शामिल हैं।

पारासेल और स्प्रैटली आइलैंड्स पर कई देशों ने अपना दावा किया है तथा कई देशों ने आंशिक रूप से इसे अपने अधिकार क्षेत्र का हिस्सा बताया है। विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण चीन सागर के समुद्र में तेल और गैस के कई विशाल भंडार दबे हुए हैं।

यही भंडार इस इलाके के कई देशों के बीच विवाद का कारण बन गए हैं। इसके अलावा यहां दर्जनों निर्जन चट्टानी इलाके, रेतीले तट, प्रवाल द्वीप आदि हैं, जो विवाद का कारण हैं। यहां का समुद्री रास्ता भी व्यापार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।